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दिल, मस्तिष्क और गुर्दे पर भी वार कर रहा कोरोना, जानें कैसे

दुनियाभर के ढेरों लोगों को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस पर शोध जारी है. कुछ अध्ययनों में पता चला है कि कोरोना का असर मरीज के श्वसन तंत्र पर ही नहीं, बल्कि दिमाग, दिल और किडनी (गुर्दा) पर भी पड़ रहा है. ऐसे में कब और किस हद तक शरीर पर मार कर रहा है कोरोना, जानें विशेषज्ञ से...

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दिल, मस्तिष्क और गुर्दे पर भी मार कर रहा कोरोना

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Published : Apr 29, 2020, 2:12 PM IST

हैदराबाद : यूं तो कोरोना वायरस के आम लक्षणों में खांसी, बुखार, बदन दर्द और सांस लेने में कठिनाई शामिल है, लेकिन शोध से पता चला है कि इसके अलावा कोरोना वायरस शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखों, मस्तिष्क, दिल और किडनी को भी समान रूप से प्रभावित कर रहा है.

लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल के प्रोफेसर अजय शाह बताते हैं कि कोरोना का असर पहले की तुलना में अब ज्यादा देखने को मिल रहा है. वह अपने अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों की जांच करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे.

शरीर को कुछ ऐसे तबाह करता है कोरोना
नाक की कोशिकाओं में कोरोना के संक्रमण की आशंका सबसे ज्यादा रहती है. शुरुआत में वायरस नाक के अंदर रहता है. इस दौरान रोगी अपनी सूंघने की क्षमता खो सकता है. इसके बाद वायरस नाक से धीरे-धीरे गले में पहुंचता है. यहां यह एक तरह की कोरोना वायरस फैक्ट्रियां बनाता है. यानी अपनी संख्या को बढ़ाता है.

इस दौरान कईं बार रोगी के शरीर में इसके लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन रोगी का शरीर दूसरे लोगों में वायरस को फैलाने की पूरी क्षमता रखता है.

सबसे अहम बात यह है कि अगर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस के गले में प्रवेश के समय प्रतिक्रिया करने में विफल रहती है, तो यह फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है.

गले के नीचे उतरते ही असर दिखाता है कोरोना
एक बार स्वसन तंत्र से नीचे जाते ही वायरस का विस्फोट शुरू हो जाता है. वायरस के फेफड़ों में घुसते ही फेफड़े फूल जाते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इससे निमोनिया के हालात पैदा हो जाते हैं. मांसपेशियों में सूजन आ जाती हैं. इसके साथ फेफड़ों में एक तरह का तरल जमना शुरू हो जाता है. इस स्थिति को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) कहा जाता है.

रक्त में ऑक्सीजन खतरनाक स्तर तक कम हो जाती है. ऐसे में रोगी को वेंटीलेटर के समर्थन की जरूरत होती है.

इन हालातों में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता ही वायरस से लड़ने में मददगार साबित हो सकती है.

लगभग 20 प्रतिशत रोगियों में किडनी फेलियर की समस्या देखी जाती है. माना जाता है कि इस स्थिति में आकर रोगी को दिल में भी काफी क्षति उठानी पड़ सकती है.

आपको बता दें आईसीयू में ऑर्गेन फेलियर के चलते रोगियों की मौत के पीछे का कारण यही है.

गुर्दा रोग पीड़ितों को ज्यादा परेशानी
इसके साथ ही एक और अहम बात यह कि गुर्दा रोग से पीड़ित मरीज जिन्हें डायलिसिस करवानी पड़ रही है, उनको कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा हो सकता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन के नतीजों में बताया गया है कि जिन मरीजों के गुर्दे क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उनको खासतौर से संक्रमण का खतरा बना रहता है और उनमें रोग के लक्षण व संक्रमण ज्यादा तब्दीली देखने को मिल सकती है.

दिल और रक्त वाहिकाओं पर कोविड-19 वायरस के प्रभाव का अध्ययन किया जाना अभी बाकी है. यह शरीर पर हमला करके रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट फेलियर होता है.

दिल पर कोरोना के लक्षण
जेएएमए कार्डियोलॉजी जर्नल के अनुसार, वुहान में 416 कोरोना रोगियों पर एक अध्ययन से पता चला है कि उनमें से 20 प्रतिशत दिल के काम न करने से मर गए. डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना वायरस मधुमेह और हृदय रोग के रोगियों के लिए घातक है. डॉक्टरों ने पाया है कि कोरोनावायरस लिवर की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करता है. यह निर्धारित करने के लिए अनुसंधान चल रहा है कि क्या यह दवाओं या ओवररिएक्टिव इम्यून सिस्टम का परिणाम है.

वुहान में गंभीर लक्षणों वाले 85 कोरोना रोगियों के एक अध्ययन से पता चला कि 27 प्रतिशत मामलों में गुर्दे की विफलता थी. डॉक्टरों ने अभी तक यह नहीं पहचाना है कि क्या यह इसलिए था क्योंकि गुर्दे में ACE2 रिसेप्टर्स प्रचुर मात्रा में थे या शरीर के रक्तचाप में गिरावट का कारण.

इस बात पर अब भी संदेह है कि कोरोनावायरस तंत्रिका तंत्र में प्रवेश कर सकता है. कोरोनावायरस के रोगियों में मिर्गी और सिरदर्द जैसे लक्षण भी आम हैं.

मस्तिष्क पर वायरस का असर
रोगियों पर शोध से पता चला है कि कई सारे रोगी भ्रम का शिकार हो जाते हैं, जो मूल रूप से संकेत है कि मस्तिष्क में कुछ सही नहीं है. यह वायरस सीधे तौर पर मस्तिष्क को प्रभावित कर रहा है. इसके अलावा यह ऑक्सीजन के कम स्तर का भी संकेत हो सकता है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने कहा कि लेकिन इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता.

लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल के सलाहकार और ह्रदय रोग विशेषज्ञ प्रो अजय शाह कहते हैं कि कुछ कोरोना मरीजों में रक्त के थक्के बनते हैं, तो वहीं कुछ के गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं, लेकिन फिर भी कोरोना रोगियों के लक्षण के बारे में काफी अनुसंधान किए जाने जाने अब भी बाकी हैं.

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