पटना :दिल्ली में बढ़े कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप ने एक बार फिर सभी को डरा दिया है. हालात ऐसे हैं कि फिर से लॉकडाउन लगाने की चर्चा होने लगी है. दिल्ली के अलावा, अहमदाबाद भोपाल जैसे कई बड़े शहरों में स्थिति गंभीर है. अहमदाबाद में तो नाइट कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. ऐसे में बिहार के बारे में बात करना बेहद जरूरी हो जाती है क्योंकि कोरोना काल में यहां चुनाव हुए, तो दिवाली की रौशनी के बाद छठ की छठा में लोग सराबोर दिखे. इन सबके बीच कोरोना के डर का लापता दिखा.
बिहार में कोरोना काल के दौरान ही चुनाव हुए. चुनाव की तैयारी में पार्टियों ने जिस तरह रैलियां की, उसमें शायद ही सोशल डिस्टेंसिंग का पता ढूंढने से मिले. रैलियों में उमड़े जनसैलाब से पार्टियां खुश तो दिखीं लेकिन कोरोना नाम की बला से किसी ने भी एहतियाती कदम उठाने की जद्दोजहद नहीं की. हालांकि, चुनाव आयोग ने पार्टियों पर मामले दर्ज किए.
वहीं, चुनाव के दौरान मतगणना केंद्रों में भी वोटिंग के समय कई बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कोई भी नियम लागू होते नहीं दिखाई दिया. ये तो बात चुनाव की हो गई. अब, जब 10 नवंबर को परिणाम आए, तो कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न भी मनाया. चुनाव के दौरान कई नेता मंत्रियों को भी कोरोना ने अपनी जद में ले लिया. इस फेहरिस्त में पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम सह बिहार बीजेपी प्रभारी देवेंद्र फडणवीस शामिल रहे. वहीं, नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हुए मुकेश सहनी भी कोरोना ग्रसित हो गए.
दीवाली और छठ में सरोबार हुए लोग
बिहार में लोकतंत्र का महापर्व जैसे ही निपटा वैसे ही त्योहारों की रौनक बाजारों में दिखाई देने लगी. दीपावली और छठ की तैयारी में पूरा बिहार जुट गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का जमकर उल्लंघन जनता ने ना चाहते हुए भी किया. आखिर, त्योहार जो मनाना था. दीवाली में पटाखे फोड़ और बधाई देकर लोगों ने एक त्योहार मना लिया.
इसके बाद छठ पूजा के लिए घाटों पर उमड़ी भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कुछ भी नहीं दिखा. हालांकि, प्रशासन ने लोगों से अपील की, कई जिलों में धारा 144 भी लागू की गई. वहीं, छठ के दौरान जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन ने कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई. कई जिलों से बार-बालाओं के डांस देखने उमड़ी भीड़ ने कोरोना को एक किनारे रख दिया.