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बगावत ने छीन लिया कांग्रेस का बढ़ता कुनबा, नेताओं के अभाव में हाथ 'अनाथ'!

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Published : Nov 22, 2020, 3:57 PM IST

बिहार चुनाव और उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं, लेकिन पिछले 15 सालों के हालातों में नजर डालें, तो मध्य प्रदेश कांग्रेस में सुधार भी हुआ है.

Congress performance in last 15 years
फाइल फोटो

भोपाल :बिहार चुनाव और उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. जबकि महज 2 साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सत्ता पर काबिज हुई थी. हालांकि, अपनों की बगावत के कारण कांग्रेस को सत्ता से बेदखल होना पड़ा और ऐसी स्थिति में पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और कांग्रेस समर्थकों को मप्र में कांग्रेस के भविष्य को लेकर चिंता सता रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पिछले 4 विधानसभा चुनावों के परिणाम
2003 - भाजपा - 173 ( 42.50%) कांग्रेस - 38 ( 31.61%)
2008 - भाजपा - 143 ( 37.64%) कांग्रेस - 71 ( 32.39 %)
2013 - भाजपा - 165 ( 44.88%) कांग्रेस - 58 ( 36.38%)
2018- भाजपा - 109 ( 41.02%) कांग्रेस -114 ( 41.00%)

पिछले 4 लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन
2004 - भाजपा - 25 - कांग्रेस - 04
2009 - भाजपा - 16 - कांग्रेस - 12 - बसपा - 01
2014 - भाजपा - 27 - कांग्रेस - 02
2019 - भाजपा - 28 - कांग्रेस - 01

बीजेपी के 15 साल
करीब 13 साल से शिवराज सिंह चौहान सीएम हैं. 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद 15 महीने के लिए जरूर बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी, लेकिन 15 महीने बाद जब फिर बीजेपी की सत्ता आई, तो शिवराज सिंह चौहान को ही सीएम बनाया गया. अपने पहले कार्यकाल में शिवराज सिंह ने जनता में लोकप्रिय नेता की छवि बनाई. इसका फायदा ये मिला कि 2008 में दोबारा बीजेपी की सरकार बनी. जनता से संवाद बनाने में माहिर शिवराज सिंह का 2013 में बीजेपी को प्रदेश में शानदार जीत दिलाई, लेकिन 2013 के बाद शिवराज सिंह की कार्यशैली और घोषणाओं पर सवाल खड़े होने लगे.

'कांग्रेस एमपी में वापसी तो कर चुकी है, लेकिन नेताओं का अभाव'
वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह की मानें तो कांग्रेस ने 2018 के बाद से ही वापसी कर ली है. 2018 के चुनाव के पहले बीजेपी की 15 साल की सरकार थी. उस दौरान कांग्रेस विधानसभा में कभी 48 सीटों पर तो कभी 60 सीटों पर रहती थी, लेकिन 2018 में 114 सीटें आई थी. कांग्रेस वापसी कर चुकी है और इसे बनाए रखने के लिए उनको लीडरशिप मजबूत करनी चाहिए. वहीं कांग्रेस की दूसरी पंक्ति कमजोर है. दूसरी पंक्ति में जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, मीनाक्षी नटराजन का नाम आता है. नेता पुत्रों में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ का नाम आता है. लेकन कांग्रेस को इन नेताओं को कहीं न कहीं तैयार करने की जरूरत है.

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