नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कृषि विधेयकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मीडिया के साथ विस्तार से चर्चा की और कई सवालों के जवाब भी दिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की राजनीति कर रहा है. इस तरह की राजनीति पार्टी और देश दोनों को कमजोर करती है.
तोमर ने देश के किसान संगठनों से अनुरोध किया कि यह विधेयक किसानों को आजादी दिलाएंगे और उचित दाम भी दिलाएंगे, जिससे उनकी माली हालत सुधरेगी. किसान अपने उत्पादन का मूल्य बुआई से पहले तय कर पाएंगे.
विधेयक के विरोध में विपक्ष और किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं. उनकी मांग है कि इस बिल में एमएसपी की गारंटी को भी शामिल किया जाना चाहिए, जो किसान संगठन इन विधेयकों का समर्थन भी कर रहे हैं, उनकी भी यही मांग है कि एमएसपी से कम कीमत पर कोई भी प्राइवेट कंपनी या व्यापारी खरीद नहीं कर सकेगा. इसका प्रावधान कानून में किया जाए.
इस मुद्दे पर कृषि मंत्री का कहना है कि एमएसपी कभी इस बिल का हिस्सा नहीं था. एमएसपी भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है और यह व्यवस्था हमेशा बनी रहेगी. आज एमएसपी पर कांग्रेस सवाल उठा रही है, जो 50 साल सत्ता में रहने के बावजूद कोई कानून नहीं बना सकी. सरकार ने हाल में रबी की फसलों की एमएसपी घोषित की है, जबकि खरीफ की फसलों के लिए बुआई से पहले ही एमएसपी घोषित कर दी गई थी. इसलिए एमएसपी से संबंधित कोई शंका किसी के मन में नहीं होनी चाहिए.
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 पर बात करते हुए तोमर ने कहा कि पहले किसान अपना उत्पादन मंडी में बेचने को विवश था. इस बिल के माध्यम से किसानों को यह सुविधा है कि मंडी से बाहर किसी भी स्थान पर, किसी भी व्यक्ति को और किसी भी कीमत पर वह अपने उत्पाद को बेच सकता है. वर्षों से किसानों की यह मांग चली आ रही थी, जिसको सरकार ने पूरा किया है.
पंजाब की मंडी व्यवस्था का उदाहरण देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि वहां मंडी टैक्स 8.5 प्रतिशत है, जो व्यापारी को चुकाना पड़ता है. इसके कारण व्यापारी पहले ही 8.5 प्रतिशत सस्ती खरीद किसान से करता था. किसानों को मंडी तक पहुंचने के लिए परिवहन में भी खर्च करना पड़ता था. किसान अब अपने खेत से सीधे फसल को बेच सकेगा, इससे अतिरिक्त खर्चे भी बचेंगे.
उन्होंने कहा कि नए कानून में भुगतान के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. खरीद के तीन दिन के भीतर व्यापारी को पूरा भुगतान करना होगा. इस कानून से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, क्योंकि व्यापारियों को कहीं से भी खरीद करने और किसानों को किसी के हाथों बेचने की छूट होगी. इसका लाभ भी किसानों को ही मिलेगा. इतना ही नहीं, इस कानून के माध्यम से अंतरराज्यीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि यह विधेयक खास कर छोटे किसानों के जीवन को बदलने वाला साबित होगा. आज देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जो खेती में ज्यादा निवेश नहीं कर पाते हैं. छोटे रकबे वाले किसान अगर एकत्रित होकर नकदी फसलों (कैश क्रॉप) की तरफ बढ़ेंगे तो उन्हें ज्यादा लाभ होगा.