नई दिल्ली : सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकील मियां अब्दुल कय्यूम की नजरबंदी के मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रखा. मेहता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ से कहा कि न्यायालय को इसके गुण-दोष पर जाने की आवश्यकता नहीं है.
मेहता ने कहा कि इस मामले में सक्षम प्राधिकारी जल्द ही निर्णय लेंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिये कुछ समय देने का अनुरोध किया. कय्यूम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि अगर जरूरत हो तो मेहता 24 घंटे में निर्देश प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को शुक्रवार के लिये सूचीबद्ध किया जाये.
दवे ने कहा कि वह इस मामले के गुण-दोष पर बहस के लिये तैयार हैं क्योंकि बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामले को इस तरह लंबा नहीं खींचा जा सकता.
पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इसे 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.
न्यायालय ने 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा था कि उसने उच्च न्यायालय की बार के नेता मियां अब्दुल कय्यूम को किस आधार पर हिरासत में रखा है. कय्यूम पिछले वर्ष सात अगस्त से जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं जिसे उन्होंने चुनौती दी है.