रांची : केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ऐलान किया कि कोविड-19 संक्रमण के इस दौर में अगर किसी कोलकर्मी की मौत संक्रमण से हो जाती है तो उसे दुर्घटनावश हुई मौत कहा जाएगा. साथ ही कंपनसेशन के तौर पर 15 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि एनर्जी सेक्टर में कोयले का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है और जब सारे देश में लॉकडाउन था, तब ऐसे में कोयलाकर्मी काम कर रहे थे. यही वजह है कि उन्हें कोल वॉरियर्स कह कर बुलाया जा रहा है.
कोयले की 3 कंपनियां हैं ऑपरेशनल
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोयला निकला भी है और यही वजह है कि देश में कहीं बिजली की समस्या भी नहीं हुई है. गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके दफ्तर प्रोजेक्ट बिल्डिंग में मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि झारखंड एक गोल्ड बियररिंग एरिया है, यहां कोयले की तीन बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं. साथ ही राज्य सरकार को लैंड एक्वीजीशन को लेकर कुछ समस्याएं थी, इस पर मुख्यमंत्री सोरेन के साथ गंभीरतापूर्वक बात हुई है.
1800 एकड़ कृषि योग्य भूमि के पोजेशन में, 300 करोड़ किए रीलीज
बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री और खूंटी से सांसद अर्जुन मुंडा भी साथ में रहे. उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि जो भी कृषि योग्य भूमि फिलहाल कोयला मंत्रालय के पोजेशन में है, या जिसे लिया जाएगा, उसका सरकार मुआवजा देगी. वह मुआवजा एग्रीकल्चरल लैंड के गाइडेंस वैल्यू के आधार पर होगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में मंत्रालय के पास 1800 एकड़ जमीन है, जिसका कंपनसेशन भारत सरकार देगी. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत गुरुवार को कर दी गई है. इस मद में 250 करोड़ रुपए और अलग-अलग जिलों के लिए और 48 करोड़ रुपए अलग से रिलीज किए गए हैं.