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महाराष्ट्र में 1,000 करोड़ का घोटाला : अजीत पवार और 70 अन्य के खिलाफ FIR का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को राकांपा नेता अजित पवार तथा 70 से अधिक के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. पढ़ें पूरी खबर....

अजित पवार (फाइल फोटो)

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Published : Aug 22, 2019, 11:27 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 10:38 PM IST

मुंबईः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार की परेशानी बढ़ सकती है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अजित के अलावा लगभग 70 अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को ये निर्देश दिया. मामला महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला से जुड़ा है. अदालत ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ मामले में प्रथम दृष्टया 'विश्वसनीय साक्ष्य' हैं.

न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस के शिन्दे ने ईओडब्ल्यू को अगले पांच दिन के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया.

पूर्व उप मुख्यमंत्री पवार के अलावा मामले के अन्य आरोपियों में राकांपा नेता जयंत पाटिल तथा राज्य के 34 जिलों के विभिन्न वरिष्ठ सहकारी बैंक अधिकारी शामिल हैं.

आरोपियों की मिलीभगत से 2007 से 2011 के बीच एमएससीबी को कथित तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप है.

नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डवलपमेंट) ने इसका निरीक्षण किया और अर्द्ध-न्यायिक जांच आयोग ने महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम (एमसीएस) के तहत एक आरोपपत्र दाखिल किया. आरोपपत्र में पवार तथा बैंक के कई निदेशकों सहित अन्य आरोपियों को नुकसान के लिये जिम्मेदार ठहराया गया.

इसमें कहा गया था कि उनके फैसलों, कार्रवाइयों और निष्क्रियता से बैंक को नुकसान हुआ.

नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट में चीनी फैक्टरियों तथा कताई मिलों को ऋण वितरित किए जाने, ऋण के पुनर्भुगतान में और ऐसे ऋण की वसूली में आरोपियों द्वारा कई बैंक कानूनों और आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किए जाने की बात सामने आई. तब पवार बैंक के निदेशक थे. निरीक्षण रिपोर्ट के बावजूद मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई.

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स्थानीय कार्यकर्ता सुरिन्दर अरोड़ा ने 2015 में इस मामले को लेकर ईओडब्ल्यू में एक शिकायत दर्ज कराई और एक प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में गुहार लगाई.

गुरुवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि नाबार्ड की रिपोर्ट, शिकायत और एमसीएस कानून के तहत दाखिल आरोप पत्र प्रथम दृष्टया बताते हैं कि मामले में आरोपियों के खिलाफ 'विश्वसनीय साक्ष्य' हैं.

Last Updated : Sep 27, 2019, 10:38 PM IST

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