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जमानत भले ही मिल गई, चिदंबरम को पाप की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी : भाजपा

आईएनएक्स मीडिया केस में कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम को 106 दिनों के कारावास के बाद बुधवार को जमानत मिल गई. इसे कांग्रेस पार्टी जहां सत्य की जीत बता रही है वहीं भाजपा ने यह कहते हुए पलटवार किया है कि बेल मिलने से कुछ नहीं होता. जो पाप उन्होंने किया है, उसकी सजा तो भुगतनी पड़ेगी. जानें विस्तार से, भाजपा प्रवक्ता ने क्या कहा...

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भाजपा प्रवक्ता सुदेश वर्मा (फाइल फोटो)

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Published : Dec 4, 2019, 9:07 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को जमानत मिल गई. आईएनएक्स मीडिया केस में वह 106 दिन से तिहाड़ जेल में बंद थे.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मसले पर कहा है कि जमानत मिलना बेगुनाही साबित नहीं करता.

भाजपा प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि चिंदबरम को बेल मिलना कोई बेगुनाही नहीं सिद्ध करता, यह एक न्यायिक प्रक्रिया है. सोनिया-राहुल गांधी भी नेशनल हेराल्ड केस में 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर बाहर हैं और चिदंबरम साहब अब दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर बाहर आए.

ईटीवी भारत से बात करते भाजपा प्रवक्ता सुदेश वर्मा.

सुदेश वर्मा ने कहा कि बेल मिलने से कुछ नहीं होता, जो पाप चिदम्बरम ने किया है, उसकी सजा तो भुगतनी पड़ेगी.

इसे भी पढे़ं : नागरिकता संशोधन बिल : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

कैब के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जो हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी, ईसाई विभाजन के समय दूसरे देशों में इस विश्वास के साथ गए थे कि उनके जान-माल की हिफाजत होगी, वे प्रताड़ित हो रहे हैं, लेकिन वह पाकिस्तान से कहा जाएंगे. वह भारत आएंगे क्योंकि उनकी जडे़ यहीं की हैं. वे जिस गारंटी के साथ गए थे, अब वह नहीं है, तो कहां जाएंगे.

गौरतलब है कि बुधवार को दिन में ही नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) कैबिनेट की बैठक में विधेयक को मंजूरी मिल गई है और ऐसी सूचना है कि आगामी दिनों में सदन के पटल पर यह संशोधन विधेयक रखा जाएगा.

हालांकि विपक्षी दल इसे लेकर बड़े स्तर पर विरोध जता रहे है. इसे एक साम्प्रदायिक विधेयक के तौर चिह्नित किया जा रहा है.

सुदेश वर्मा ने नागरिकता के सवाल पर कहा कि नागरिकता बिल्कुल दी जानी चाहिए. पहले भी दी गई है. तमिलों को दी गई थी.

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के भारी विरोध पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ समझ का फेर है. एनआरसी कोई नागरिकता देने की प्रकिया नहीं है. सिर्फ पहचान करने का एकमात्र जरिया है.

बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक में पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान से शरण के लिए आने वाले हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

भारत की नागरिकता के लिए 11 साल देश में निवास करना जरूरी है, लेकिन इस संशोधन के बाद शरणार्थियों के लिए निवास अवधि को घटाकर छह साल करने का प्रावधान है.

हालांकि इस संशोधन बिल को लेकर विपक्ष और पूर्वोत्तर के राज्य लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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