नई दिल्ली : अयोध्या मस्जिद परिसर न केवल इस्लामी वास्तुकला की भव्यता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि अन्य धर्मों के बीच की दूरी को भी पाट देगा. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वास्तुकला के संकाय के डीन प्रोफेसर एसएम अख्तर, जिन्होंने मस्जिद परिसर को डिजाइन किया है, का कहना है कि यहां धनीपुर गांव में पांच एकड़ भूमि में बनने वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सभी धर्मों के मरीजों का इलाज किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि परिसर के लिए, जो मार्ग बनाए गए हैं वो पैगंबर मुहम्मद के समय से प्रभावित हैं.
प्रोफेसर अख्तर ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि मस्जिद समाज के सभी वर्गों के लिए खास होगी और उसी दृष्टिकोण से हमने एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने की योजना बनाई है, जिसमें 200-300 बेड की क्षमता होगी और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए यहां एक आर्काइव बनाया जाएगा, जिसमें सभी धर्मों का उल्लेख किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि परिसर का आर्किटेक्चर इस्लामिक है. इसमें इस्लामी वास्तुकला का चित्रण है. इस परिसर में इस्लामिक दर्शनशास्त्र को दिखाया गया है, जो मानवता को प्राथमिकता देती है.
यह पूछे जाने पर कि मस्जिद के डिजाइन ने पारंपरिक इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का चित्रण क्यों नहीं किया, प्रोफेसर अख्तर ने कहा कि मस्जिद का परिसर समकालीन वास्तुकला पर आधारित है, क्योंकि हम समाज की नई चुनौतियों जैसे कि ऊर्जा, प्रदूषण, पार्किंग से संबंधित मुद्दे को सामना कर रहे हैं, इसलिए इस तरह कि आर्किटेक्चर से ऐसी चुनौतियों से निपट सकते हैं.