नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने 15 जुलाई को भारत-यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में वर्चुअल बैठक की थी. इस बैठक में दोनों पक्षों ने राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों के अलावा व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग की समीक्षा भी की थी.
विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सम्मेलन के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक था व्यापार और निवेश संबंधों पर उच्च स्तरीय वार्ता की स्थापना करना, जो सभी व्यापार और बाजार के मुद्दों के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला लिंकेज पर चर्चा करेंगे. स्वरूप ने कहा कि दोनों पक्षों के नेताओं ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच कोविड के बाद की आर्थिक सुधार प्राथमिकताओं के संदर्भ में आपूर्ति श्रृंखला लिंकेज के विविधीकरण, व्यापार और निवेश संबंधों के लिए पूरी क्षमता को साकार करने पर जोर दिया और दोनों पक्षों में व्यापार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.
उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने की प्राथमिकता पर जोर दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार विनियामक वातावरण को उदार बनाने के साथ-साथ व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के प्रयासों को जारी रखेगी.
विकास स्वरूप के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में अवसरों का उपयोग करने के लिए यूरोपीय व्यवसायों को आमंत्रित किया और संदेश दिया कि आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य भारत में घरेलू उत्पादन को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ना है.
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारी साथी है और भारत 2018 में यूरोपीय संघ का नवां बड़ा व्यापारी साथी रहा है. 2018-19 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 115.6 बिलियन डॉलर था, जबकि भारत का निर्यात 57.17 बिलियन डॉलर और आयात 58.42 बिलियन डॉलर था. भारत यूरोपीय संघ से चौथा सबसे बड़ा सेवा निर्यातक भी है और यूरोपीय संघ से सेवा निर्यात के लिए छठा सबसे बड़ा गंतव्य है.
यूरोपीय संघ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है. अप्रैल 2000 से जून 2018 की अवधि में भारत की इक्विटी में यूरोपीय संघ के देशों से 90.7 बिलियन डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जो भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 24 प्रतिशत है. एक निवेश सुविधा तंत्र यूरोपीय संघ से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देता है और सुविधा प्रदान करता है. यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक ने नई दिल्ली में अपना कार्यालय मार्च 2017 में खोला है, जिसके द्वारा भारत की कई योजनाओं के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया. यूरोपीय संघ देशों में भारत ने 50 बिलियन यूरो निवेश किए हैं.
इन सबके बावजूद दोनों पक्षों में मुक्त व्यापार समझौता नहीं हुआ है, जिसे व्यापक व्यापार और निवेश समझौता कहा जाता है. इस समझौते पर चर्चा 2007 में शुरू की गई थी, लेकिन वार्ता के करीब एक दर्जन दौर के बाद यह 2013 से स्थगित है.