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सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करे रक्षा उद्योग : ले. ज. सैनी

भारत में सैनिकों की सुरक्षा के लिए भारतीय रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की सुरक्षा आवश्यकताओं के सामाधान के लिए विकसित होने की आवश्यकता है. भारतीय सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सैनी ने कहा कि सैनिक माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तैनात रहते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के नजरिए को अमल करने की जरूरत हैं.

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Published : Oct 11, 2020, 10:19 AM IST

Updated : Oct 11, 2020, 11:00 AM IST

Deputy Chief Lt Gen SK Saini
उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सैनी

नई दिल्ली :लेफ्टिनेंट जनरल एस. के. सैनी ने शनिवार को कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की सुरक्षा आवश्यकताओं के समाधान के लिए विकसित होने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में सैनिक बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात हैं, जहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है, लेकिन भारत आज भी सर्दियों के लिए जरूरी कपड़े और उपकरण आयात कर रहा है.

उन्होंने कहा, 'बड़ी संख्या में सैनिक बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात हैं, जहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है, लेकिन 'व्यवहार्य स्वदेशी समाधानों की कमी के कारण' भारत आज भी सर्दियों के लिए जरूरी कपड़े और उपकरण आयात कर रहा है. इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के हमारे नजरिए को अमली जामा पहनाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास किए जाने की जरूरत है.'

उप सेना प्रमुख 'फोर्स प्रोटेक्शन इंडिया 2020' शीर्षक वाले वेबिनार को संबोधित कर रहे थे, जिस दौरान सशस्त्र बलों की सुरक्षा संबंधी कई जरूरतों पर चर्चा की गई.

सैनी ने कहा कि भारतीय सेना ने आधुनिक हथियारों, गोलाबारूद, रक्षा उपकरणों, कपड़ों और कई अन्य क्षेत्रों में व्यापक बदलाव किया है, लेकिन अब भी काफी कुछ किया जाना बाकी है.

उन्होंने कहा, 'नाइट-विजन गॉगल्स, कॉम्बैट हेलमेट, बुलेटप्रूफ जैकेट, लाइट पोर्टेबल कम्युनिकेशन सेट और कई अन्य चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा, 'अभी रात में देखने में सक्षम उपकरण, युद्धक हेलमेट, बुलेटप्रूफ जैकेट, हल्के सचल संचार उपकरणों और कई अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की आवश्यकता है.'

सैनी ने कहा कि भले ही उद्योग ने चुनौती के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन जो समाधान प्रदान किए गए हैं, उनमें नवीनता और एकीकरण की कमी है.

थल सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट सैनी ने कहा कि ड्रोन या मानव रहित विमान (यूएवी) अपनी विनाशक क्षमता के कारण अन्य चुनौतियों से कहीं अधिक गंभीर हैं.

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'उन्होंने कहा, 'ड्रोन की कम लागत, बहुउपयोगिता और उपलब्धता के मद्देनजर कोई शक नहीं है कि आने वाले सालों में खतरा कई गुना बढ़ेगा.'

उन्होंने कहा कि ड्रोन जैसे खतरों का 'तीसरा आयाम' निकट भविष्य में अभूतपूर्व हो सकता है और सेना को इस बारे में अभी से योजना बनाने की जरूरत है. सैनी ने कहा, 'ड्रोन रोधी समाधान के तहत 'स्वार्म' प्रौद्योगिकी समेत 'हार्ड किल और सॉफ्ट किल' दोनों तरह के उपाय समय की जरूरत हैं.'

Last Updated : Oct 11, 2020, 11:00 AM IST

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