नई दिल्ली :केंद्रीय गृहमंत्रीअमित शाह ने लोकसभा मेंनागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया. इसके बाद विधेयक पर कई आशंकाएं जताई गईं.
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि धर्म के आधार पर 1947 में कांग्रेस पार्टी ने देश का विभाजन किया जिसके कारण सरकार को अब नागरिकता कानून में संशोधन के लिए विधेयक लाने की जरूरत पड़ी .
लोकसभा में नागरिकता विधेयक पेश करते हुए शाह ने कहा, 'कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन किया . अगर धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया जाता तब इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती.'
उन्होंने कहा कि उपयुक्त श्रेणीबद्धता के आधार पर पहले भी ऐसा किया गया . 1971 में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बांग्लादेश बनते समय वहां से जितने लोग आए, उन सभी को नागरिकता दी गई .
शाह ने सवाल किया 'तो फिर पाकिस्तान से आए लोगों को क्यों नहीं लिया (नागरिक नहीं बनाया गया) ? इसके अलावा युगांडा से आए लोगों को भी नागरिकता दी गई . दंडकारण्य कानून को लेकर आए तब भी नागरिकता दी गई . राजीव गांधी के समय भी लोगों को लिया गया .'
उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक देशों में ऐसे ढेर सारे उदाहरण है जहां लोगों को नागरिकता दी गई. विपक्षी सदस्यों ने हालांकि इसका विरोध करते हुए कहा कि पहली बार देश को मुस्लिम और गैर मुस्लिम में बांटने का प्रयास किया जा रहा है.
इस पर अमित शाह ने कहा कि विधेयक में ऐसी कोई बात नहीं है और संविधान के किसी भी अनुच्छेद का इसमें उल्लंघन नहीं किया गया है . संविधान के सभी अनुच्छेदों का ध्यान रखते हुए विधेयक तैयार किया गया है.
उन्होंने सवाल किया कि अगर सभी को समान अधिकार देने की बात की जा रही है तब किसी को विशेष अधिकार क्यों ? सभी को समान अधिकार दिया जाए.