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चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत हथियारों की तलाश में पहुंचा रूस

भारत की एक टीम मास्को में रूसी सैन्य एक्सपो में हथियारों की खरीद और नए सहयोग डील को साइन करने की तलाश में है. चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच यह भारतीय टीम का दौरा काफी अहम माना जा रहा है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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Published : Aug 25, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 6:02 PM IST

नई दिल्ली :रक्षा सचिव (उत्पादन) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें लगभग 15 भारतीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारी और कुछ भारतीय उद्योग प्रतिनिधि शामिल हैं, हथियार और सैन्य उपकरण खरीदने और रूसी रक्षा उद्योग के साथ संयुक्त सहयोग के लिए रूसी सैन्य एक्सपो 2020 में पहुंचा.

रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित, ARMY-2020 एक रूसी सैन्य एक्सपो है, जहां मिलिट्री हार्डवेयर को वाणिज्यिक सौदों के लिए प्रदर्शित किया जाता है.

भारत के लिए हथियारों की यह तलाश हाल ही में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प और उत्तरी सिक्किम में मई की एक घटना और चीनी घुसपैठियों के साथ हुई सिलसिलेवार मुठभेड़ों के कारण उत्पन्न हुई स्थिति के चलते सामने आई है.

इस क्रम में सबसे खराब घटना 15 जून को गलवान घाटी की थी, जहां कम से कम 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि चीन अपनी हताहत संख्या के बारे में कोई खुलासा नहीं किया.

भारत-चीन के खराब संबंधों ने सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के उप-प्रमुखों की निगरानी में रक्षा मंत्रालय की आपातकालीन खरीद प्रक्रिया को भी सक्रिय कर दिया है.

फिलहाल 500 करोड़ रुपये तक की सीमा के साथ-साथ पहले से ही 100 से अधिक अनुबंध वित्तीय वर्ष में सीमा संकट के कारण आपातकालीन खरीद के तहत पाइपलाइन में हैं, हालांकि 12 वर्षों में आमतौर पर यह अनुबंध 12 से 15 करोड़ रुपये के थे.

इसके साथ लगभग 100,000 सैन्य कर्मियों और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के दोनों ओर सेनाएं, जो हिमालय के ऊंचाई वाले अत्यंत कठोर और दुर्गम क्षेत्रों पर प्रवास की तैयारी कर रही है.

जहां एक ओर भारतीय अधिकारियों के मंगलवार रात को रूस से नई दिल्ली लौटने की उम्मीद है, तो वहीं पिछले कुछ दिनों से रूसी सरकारी अधिकारियों और रक्षा उद्योग के नेताओं के साथ एक के बाद एक बैठकों में उन्हें बहुत व्यस्त देखा गया है.

उल्लेखनीय है कि रूस जाने वाली टीम में सचिव और उद्योग के प्रतिनिधियों के अलावा, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड जैसे अन्य), DPSU आदि के अधिकारी शामिल हैं.

पढ़ें -भारत के प्रति चीन की कथनी और करनी में अंतर : पूर्व राजदूत

एक अधिकारी जो प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा है ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि रूसी, मेक इन इंडिया के प्रयास की बहुत सराहना करते थे और विशेष रूप से सफल संयुक्त उपक्रमों की तर्ज पर भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल या सुखोई 30 एमकेआई दोनों जिनका उत्पादन अब भारत में किया जा रहा है, में सहयोग करने की उनकी इच्छा को देखा जा सकता था.

एके 203 असाल्ट राइफल पर भारत-रूस के संभावित सौदे को लेकर उन्होंने कहा कि पहले आयात और फिर स्थानीय रूप से एके 203 असॉल्ट राइफल का उत्पादन डेलीगेशन की चर्चा का हिस्सा था.

अधिकारी ने इस बात की भी पुष्टि की कि सुखोई लड़ाकू के निर्माता, इरकुत् कारपोरेशन के भारतीय प्रतिनिधिमंडल और अधिकारियों के बीच बैठकें हुईं, जो पहली बार निर्यात- बहु-स्तरीय सुखोई 57वीं पीढ़ी के थ्रॉटल सेनानी को प्रदर्शित करेगा.

हालांकि रूसी वायु सेना SU 5 को सबसे पहले रूसी के पश्चिमी सैन्य जिले द्वारा उपयोग किया जाएगा.

दुनिया भर में, यूएस F-22 और F-35 और चीनी J-20 संबंधित सेनाओं के साथ तैनात होने वाले केवल तीन ज्ञात स्टील्थ लड़ाकू हैं. SU 57 पहले रूसी सेनानी होंगे.

हाल ही में चीन द्वारा अपने J-20 सेनानियों में से दो को हॉटन एयर बेस पर तैनात करने की सूचना मिली थी, जो कि LAC के सबसे नजदीकी चीनी सैन्य एयरबेस में से एक है और भारत के साथ संघर्ष की स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभान सकते हैं.

Last Updated : Aug 25, 2020, 6:02 PM IST

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