नई दिल्ली : असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ प्रभावशाली ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने मोर्चा खोल दिया है.
एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोरो ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उनका संगठन छह असम समुदायों (कोच राजभोंगशी, ताई अहोम, चुटिया, मटाक, मोरन और टी ट्राईब ) को सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले कदम का विरोध करेगा.
बोरो ने कहा, 'इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की जरूरत नहीं है. वे किसी चीज से वंचित नहीं हैं. वास्तव में, वे समाज की मुख्यधारा में आते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर इन छः समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला तो पहले से शामिल अनुसूचित जनजाति समुदायों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.
बता दें कि जनवरी में, भाजपा सरकार ने असम के छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पेश किया था. इस विधेयक में इन छह समुदायों को एसटी कैटेगरी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था.
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लेकिन उच्च सदन में भाजपा सदस्यों के विरोध और संख्या में कमी के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका.
इस साल की शुरुआत में, बीजेपी की अगुवाई वाली असम सरकार ने इन छह समुदायों की भाषा, संस्कृति और साहित्य को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया है.
हालांकि राज्य मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाले मंत्री समूह ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौपी है.