हैदराबाद : इस धरती पर मौजूद हर एक शख्स एक साल में 700 प्लास्टिक का उपयोग करता है. बड़े पैमाने पर देखें तो दुनिया भर में हर सेकेंड 1.60 लाख प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. और एक साल में एक से पांच ट्रिलियन प्लास्टिक बैग. इसका मतलब है हर एक मिनट में 10 मिलियन प्लास्टिक बैग. दुनियाभर में इनमें से महज एक से तीन फीसदी ही रिसाइकल किया जाता है.
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि प्लास्टिक की थैलियों और स्टायरोफोम के कंटेनर के अपघटित होने में हजारों साल तक लग सकते हैं. इससे पहले यह मिट्टी और पानी को दूषित करने के अलावा भूमि और समुद्र के जीवों के लिए काफी बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. इसके कारण वन्यजीवों पर भी संकट है.
प्लास्टिक की थैलियों और फोम की तरह के प्लास्टिक उत्पाद जो एकल उपयोग वाले होते हैं, इनको सरकार ने सबसे बड़ी परेशानी का कारण माना है. इसे हम काफी आसानी से पर्यावरण में अपने आस-पास भी देख सकते हैं. जैसे हवा से उड़ कर कहीं तार, बाड़ या पेड़ों पर चिपके रहना या या नदियों या तालाबों जैसे जलश्रोतों में.
इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्रीम डे के दिन दुनिया भर में एक ऐसी मुहिम से शुरु की गई थी, जिसका मकसद था दुनिया को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराना. यह दिन पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी मनाया जाता है. इस दिन सभी लोगों से प्लास्टिक बैग के बदले इसके इको-फ्रेंडली विकल्पों का उपयोग करने की अपील भी की जाती है.
क्यों नहीं करना चाहिए प्लास्टिक बैग का उपयोग
प्लास्टिक की थैलियों से नालियां और जलमार्गों में अवरोध आता है.शहरी वातावरण को खतरा पैदा होता है. जहरीले तत्व होने के कारण आम आदमी के सामने गंभीर खतरे पैदा होते हैं.
प्लास्टिक की थैलियों द्वारा अवरुद्ध ड्रेनेज सिस्टम को बाढ़ के एक प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है.
प्लास्टिक की थैलियों से अवरूद्ध हुई नालियों के कारण 1988 और 1998 में बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई थी. अब वहां की सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है.
प्लास्टिक की थैलियों के कारण सीवेज सिस्टम में होने वाली रुकावट के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी खतरों के बादल मंडराने लगते हैं. गलत तरीके से निपटान किए गए प्लास्टिक सीवर में रुकावट और जल जमाव पैदा करने के प्रमुख कारण हैं.
नतीजतन तालाबों में कच्चे सीवेज और सीवर के माध्यम से निस्तारित विभिन्न सामग्रियां, मिश्रित हो जाती हैं. धूप पड़ने और अपघटन के कारण इन तालाबों से विषाक्त गैसों का उत्सर्जन खतरनाक दर से होता है.
सीवरों में होने वाली रूकावट मच्छरों और कीटों के लिए प्रजनन का आधार बनती है. प्लास्टिक की थैलियों से मलेरिया जैसे वेक्टर जनित रोगों के प्रसार में भी वृद्धि हो सकती है.
प्लास्टिक की सामग्री, विशेष रूप से प्लास्टिक की थैलियां सैकड़ों प्रजातियों के पेट में कई विकार का कारण बनते पाए गए हैं. प्लास्टिक की थैलियों को कछुए और डॉल्फ़िन मछली अक्सर भोजन समझकर निगल जाते हैं
इस बात के सबूत हैं कि प्लास्टिक निर्माण के दौरान जिन जहरीले रसायनों का प्रयोग होता है वह जीवों के माध्यम से अंततः मानव खाद्य श्रृंखला में भी प्रवेश करता है. स्टायरोफोम उत्पादों में स्टाइलिन और बेंजीन जैसे कैंसर कारक रसायन होते हैं, अगर इन्हें निगल लिया जाए, तो तंत्रिका तंत्र, फेफड़े और प्रजनन अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है.
सर्दियों में प्लास्टिक के कचरे को अक्सर गर्मी हासिल करने या खाना पकाने के लिए जला दिया जाता है. इससे लोग विषाक्त उत्सर्जन के शिकार बनते हैं. प्लास्टिक के कचरे को खुली हवा वाले गड्ढों में जलाने से फ्यूरन (furan) और डाइऑक्सिन जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं.
दुनिया भर में प्लास्टिक बैग:
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) की एक रिपोर्ट में 192 देशों की समीक्षा की गई. इसमें पाया गया कि जुलाई, 2018 तक कम से कम 127 देशों ने प्लास्टिक की थैलियों को विनियमित करने के लिए कानून का कोई न कोई रूप अपनाया है.
प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाले 91 देशों में से 25 कई तरह के छूट देते हैं, कई देशों में अलग-अलग स्तरों पर छूट दिए जाने की बात सामने आई.
केवल 16 देशों के पास पुन: प्रयोग किए जा सकने योग्य बैग या प्लास्टिक के विकल्प के रूप में पौधे-आधारित सामग्री से बने बैग के उपयोग के संबंध में नियम थे.
फ्रांस, भारत, इटली, मेडागास्कर और कई अन्य देशों में सभी प्लास्टिक की थैलियों पर एक समान प्रतिबंध नहीं है. हालांकि, इन देशों में 50 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक बैग का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने या टैक्स वसूलने के प्रावधान हैं
चीन में प्लास्टिक बैग के आयात पर प्रतिबंध है. यहां दलील दी जाती है कि खुदरा विक्रेता प्लास्टिक की खरीदारी के लिए उपभोक्ताओं से शुल्क लेते हैं. हालांकि, इससे स्पष्ट रूप से प्लास्टिक के उत्पादन या निर्यात प्रतिबंधित नहीं होता.