दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

हर सेकेंड 1.60 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग, कैसे हो पर्यावरण संरक्षण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की घोषणा की है. हालांकि, दुनिया भर में हर सेकेंड 1.60 लाख प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है.

International Plastic Bag Free Day- 3rd July
International Plastic Bag Free Day- 3rd July

By

Published : Jul 3, 2020, 11:17 AM IST

Updated : Jul 3, 2020, 11:47 AM IST

हैदराबाद : इस धरती पर मौजूद हर एक शख्स एक साल में 700 प्लास्टिक का उपयोग करता है. बड़े पैमाने पर देखें तो दुनिया भर में हर सेकेंड 1.60 लाख प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. और एक साल में एक से पांच ट्रिलियन प्लास्टिक बैग. इसका मतलब है हर एक मिनट में 10 मिलियन प्लास्टिक बैग. दुनियाभर में इनमें से महज एक से तीन फीसदी ही रिसाइकल किया जाता है.

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि प्लास्टिक की थैलियों और स्टायरोफोम के कंटेनर के अपघटित होने में हजारों साल तक लग सकते हैं. इससे पहले यह मिट्टी और पानी को दूषित करने के अलावा भूमि और समुद्र के जीवों के लिए काफी बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं. इसके कारण वन्यजीवों पर भी संकट है.

प्लास्टिक की थैलियों और फोम की तरह के प्लास्टिक उत्पाद जो एकल उपयोग वाले होते हैं, इनको सरकार ने सबसे बड़ी परेशानी का कारण माना है. इसे हम काफी आसानी से पर्यावरण में अपने आस-पास भी देख सकते हैं. जैसे हवा से उड़ कर कहीं तार, बाड़ या पेड़ों पर चिपके रहना या या नदियों या तालाबों जैसे जलश्रोतों में.

इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्रीम डे के दिन दुनिया भर में एक ऐसी मुहिम से शुरु की गई थी, जिसका मकसद था दुनिया को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराना. यह दिन पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी मनाया जाता है. इस दिन सभी लोगों से प्लास्टिक बैग के बदले इसके इको-फ्रेंडली विकल्पों का उपयोग करने की अपील भी की जाती है.

क्यों नहीं करना चाहिए प्लास्टिक बैग का उपयोग

प्लास्टिक की थैलियों से नालियां और जलमार्गों में अवरोध आता है.शहरी वातावरण को खतरा पैदा होता है. जहरीले तत्व होने के कारण आम आदमी के सामने गंभीर खतरे पैदा होते हैं.

प्लास्टिक की थैलियों द्वारा अवरुद्ध ड्रेनेज सिस्टम को बाढ़ के एक प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है.

प्लास्टिक की थैलियों से अवरूद्ध हुई नालियों के कारण 1988 और 1998 में बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई थी. अब वहां की सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

प्लास्टिक की थैलियों के कारण सीवेज सिस्टम में होने वाली रुकावट के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी खतरों के बादल मंडराने लगते हैं. गलत तरीके से निपटान किए गए प्लास्टिक सीवर में रुकावट और जल जमाव पैदा करने के प्रमुख कारण हैं.

नतीजतन तालाबों में कच्चे सीवेज और सीवर के माध्यम से निस्तारित विभिन्न सामग्रियां, मिश्रित हो जाती हैं. धूप पड़ने और अपघटन के कारण इन तालाबों से विषाक्त गैसों का उत्सर्जन खतरनाक दर से होता है.

सीवरों में होने वाली रूकावट मच्छरों और कीटों के लिए प्रजनन का आधार बनती है. प्लास्टिक की थैलियों से मलेरिया जैसे वेक्टर जनित रोगों के प्रसार में भी वृद्धि हो सकती है.

प्लास्टिक की सामग्री, विशेष रूप से प्लास्टिक की थैलियां सैकड़ों प्रजातियों के पेट में कई विकार का कारण बनते पाए गए हैं. प्लास्टिक की थैलियों को कछुए और डॉल्फ़िन मछली अक्सर भोजन समझकर निगल जाते हैं

इस बात के सबूत हैं कि प्लास्टिक निर्माण के दौरान जिन जहरीले रसायनों का प्रयोग होता है वह जीवों के माध्यम से अंततः मानव खाद्य श्रृंखला में भी प्रवेश करता है. स्टायरोफोम उत्पादों में स्टाइलिन और बेंजीन जैसे कैंसर कारक रसायन होते हैं, अगर इन्हें निगल लिया जाए, तो तंत्रिका तंत्र, फेफड़े और प्रजनन अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है.

सर्दियों में प्लास्टिक के कचरे को अक्सर गर्मी हासिल करने या खाना पकाने के लिए जला दिया जाता है. इससे लोग विषाक्त उत्सर्जन के शिकार बनते हैं. प्लास्टिक के कचरे को खुली हवा वाले गड्ढों में जलाने से फ्यूरन (furan) और डाइऑक्सिन जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं.

दुनिया भर में प्लास्टिक बैग:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) की एक रिपोर्ट में 192 देशों की समीक्षा की गई. इसमें पाया गया कि जुलाई, 2018 तक कम से कम 127 देशों ने प्लास्टिक की थैलियों को विनियमित करने के लिए कानून का कोई न कोई रूप अपनाया है.

प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाले 91 देशों में से 25 कई तरह के छूट देते हैं, कई देशों में अलग-अलग स्तरों पर छूट दिए जाने की बात सामने आई.

केवल 16 देशों के पास पुन: प्रयोग किए जा सकने योग्य बैग या प्लास्टिक के विकल्प के रूप में पौधे-आधारित सामग्री से बने बैग के उपयोग के संबंध में नियम थे.

फ्रांस, भारत, इटली, मेडागास्कर और कई अन्य देशों में सभी प्लास्टिक की थैलियों पर एक समान प्रतिबंध नहीं है. हालांकि, इन देशों में 50 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक बैग का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने या टैक्स वसूलने के प्रावधान हैं

चीन में प्लास्टिक बैग के आयात पर प्रतिबंध है. यहां दलील दी जाती है कि खुदरा विक्रेता प्लास्टिक की खरीदारी के लिए उपभोक्ताओं से शुल्क लेते हैं. हालांकि, इससे स्पष्ट रूप से प्लास्टिक के उत्पादन या निर्यात प्रतिबंधित नहीं होता.

इक्वाडोर, अल साल्वाडोर और गुयाना में केवल प्लास्टिक बैग के निपटान को विनियमित किया जाता है. इन देशों में प्लास्टिक बैग के आयात, उत्पादन और खुदरा उपयोग को रेगुलेट नहीं किया गया है.

2015 में केप वर्डे में प्लास्टिक बैग उत्पादन पर 60 प्रतिशत की कटौती करने का फैसला लिया गया. 2016 में उत्पादन कटौती 100 कर दी गई. प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होने के बाद से, इस देश में केवल बायोडिग्रेडेबल और खाद बनाए जा सकने वाले प्लास्टिक बैग के प्रयोग की अनुमति है.

ऑस्ट्रेलिया और भारत में विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) की आवश्यकता वाले कानून लागू हैं. यह एक ऐसी नीति है जहां उत्पादकों को अपने उत्पादों की सफाई या रीसाइक्लिंग के लिए जिम्मेदार बताया गया है.

ईपीआर एक उत्पाद के सभी चरणों में संभावित प्रभावों के प्रबंधन पर जोर देता है. इनमें उत्पादन, वितरण, उपयोग, संग्रह, पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण, पुन: प्रसंस्करण और निपटान शामिल हैं.

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के प्रयास में, कई सरकारों ने पारंपरिक प्लास्टिक बैगों को गैरकानूनी घोषित किया है. इसके बाद केवल 'बायोडिग्रेडेबल बैग' का उपयोग और उत्पादन किया जा सकता है.

भारत में प्लास्टिक बैग:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की घोषणा की है.

1998 में, सिक्किम उन पहले भारतीय राज्यों में से एक था, जिसने प्लास्टिक की थैलियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. आज दो दशकों के बाद, यह देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध को सफलतापूर्वक लागू किया है.

केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने भी राज्य की सराहना करते हुए कहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ 'सिक्किम की कार्रवाई भारत में सबसे अधिक प्रचलित है.'

प्लास्टिक कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर राज्यों ने संबंधित नोटिफिकेशन / आदेश जारी किए हैं. विनियमों की शुरुआत भी की जा रही है, लेकिन, इसका प्रभावी कार्यान्वयन एक मुद्दा है.

मुख्य समस्याएं (i) नीतियों को लागू करना और (ii) सस्ते विकल्पों की कमी के रूप में सामने आती हैं.

प्लास्टिक की थैलियों के विकल्पों की तलाश से तस्करी और काला बाज़ारी जैसी परेशानियां भी सामने आई हैं.

विकल्पों की आड़ में मोटे प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग किया जाता है, जो प्रतिबंधित नहीं हैं. इससे कुछ मामलों में पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ी हैं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को बताया है कि 18 राज्यों ने प्लास्टिक कैरी-बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिए हैं. पांच राज्यों- आंध्र प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल ने धार्मिक / ऐतिहासिक स्थानों पर प्लास्टिक कैरी बैग / उत्पादों पर आंशिक प्रतिबंध लगाए हैं.

प्लास्टिक बैग के उपयोग पर कोरोना वायरस का प्रभाव

कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार के साथ, उपभोक्ताओं का व्यवहार, यहां तक ​कि सबसे अच्छे इरादे, बदल गए हैं. एक ही जगह रहने के दौरान माल की बिक्री-खरीद में जिन देशों में प्लास्टिक के उपयोग पर अभी तक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, ऐसे कई देशों में यह एक महत्वपूर्ण तत्व रहा है.

बात चाहे खेतों से उपज ले जाने की हो, या भोजन के संरक्षण की, या फल और सब्जियों को छांटने के लिए दस्ताने के रूप में उपयोग की हो, कोरोना महामारी के दौरान प्लास्टिक एक अहम भूमिका में दिखा है.

प्लास्टिक उद्योग के लिए पैरवी करने वालों ने स्वास्थ्य संबंधी आशंकाओं का फायदा उठाते हुए तर्क दिया है कि दोबारा उपयोग की तुलना में एकल-उपयोग प्लास्टिक बैग एक अधिक स्वच्छ विकल्प हैं. हालांकि, यह दिखाने के लिए सबूत बहुत कम हैं, कि प्लास्टिक की थैलियां एक सुरक्षित विकल्प हैं. कम से कम दोबारा प्रयोग में लाए जा सकने वाले कपड़े के बैग धोए तो जा ही सकते हैं.

ऐसी आशा है कि अगले साल कोरोना वायरस अतीत की बात हो जाएगी, लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण के साथ ऐसा नहीं है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम कोरोना महामारी के बीच प्लास्टिक के कचरे और कूड़े को न बढ़ाएं.

COVID-19 महामारी के दौरान प्लास्टिक कचरे को सीमित करने के कई तरीके हैं. यदि संभव हो तो बस टोकरी या गाड़ी से किराने का सामान सीधे अपनी कार में ले जाएं. पेपर बैग एक और विकल्प हैं; कम से कम यह एकल उपयोग और आसानी से खाद बन सकने योग्य हैं. दूरदर्शिता के दृष्टिकोण से कहें तो सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और हमारी धरती साथ-साथ चलते हैं.

Last Updated : Jul 3, 2020, 11:47 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details