लखनऊ : जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने इलाज के नाम पर मरीजों से धोखाधड़ी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. जिलाधिकारी के आदेश पर अपर नगर मजिस्ट्रेट और उप जिलाधिकारी व चिकित्सीय प्राधिकारी के नेतृत्व में गठित छह टीमों ने शहर के अलग-अलग जगहों के अस्पतालों में छापा मारा. इस दौरान कई अस्पतालों में गम्भीर खामियां मिलीं. इस दौरान अस्पताल की ओटी में रखे फ्रिज में बीयर की बोतल मिलीं, जिस पर जिलाधिकारी ने कड़ी कार्रवाई की संस्तुति करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए हैं.
डिप्टी कलेक्टर प्रज्ञा पाण्डेय व डॉ. दिलीप भार्गव ने कुल चार अस्पतालों का निरीक्षण किया. लक्ष्य कैंसर हाॅस्पिटल पहुंची टीम ने पाया कि अस्पताल का लाइसेन्स 30 अप्रैल 2021 के बाद नवीनीकरण ही नहीं हुआ है. इस अस्पताल में 20 बेड की स्वीकृति थी, जबकि इसके सापेक्ष जांच में 31 बेड पाए गए. अस्पताल की ओटी और वार्ड में साफ-सफाई संतोषजनक नहीं पाई गई. जांच दल ने अस्पताल के रिकार्ड भी खंगाले, जिसमें पाया गया कि मरीज जमीऊरहमान की सात जुलाई को कीमोथेरेपी के लिए फाइल बनी थी, लेकिन न तो इलाज हुआ और न ही डिस्चार्ज का समय दर्ज था. इसी तरह रमेश चन्द्रा नाम के मरीज की एक जून को भर्ती किए जाने की फाइल थी, लेकिन इनके डिस्चार्ज का विवरण ही नहीं था.
नदारद रहे डॉक्टर
जांच में पाया गया कि अस्पताल प्रबन्धन द्वारा मरीज देखने के लिए डॉ. समीर बेग को ऑन काॅल बुलाया जाता है. जबकि अस्पताल के पंजीकरण दस्तावेजों में डॉ. समीर बेग का कोई जिक्र नहीं है. इसके बाद टीम ने काकोरी हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया. यहां न तो डाक्टर मौजूद थे और न ही कोई चिकित्सीय सुविधाएं दिखी. इलाज के नाम पर केवल दो बेड ही पाये गए. अस्पताल में मौजूद स्टाॅफ रजिस्ट्रेशन से सम्बन्धित कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया. इसके बाद टीम हिन्द हॉस्पिटल पहुंची, जहां सूचना देने के बाद भी कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं हुआ. अस्पताल में कुल 12 बेड थे, जिनमें से चार बेड काॅरिडोर में पाये गये. अस्पताल के डिस्प्ले बोर्ड पर आर्थोपैडिक सर्जरी आदि सुविधाओं का जिक्र था, लेकिन इससे सम्बन्धित डाॅक्टर और सुविधाएं मौजूद नहीं थीं. टीम के पूछने पर स्टाॅफ ने मो. आरिफ (आयुष डॉक्टर) से सम्पर्क किया, लेकिन इनके द्वारा कोई पंजीकरण दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका. इसके बाद जांच दल ने नए खुले साधना हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया. पता चला कि हाॅस्पिटल के पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है, जिसकी स्वीकृति अभी प्राप्त नहीं हुई है. बावजूद इसके अस्पताल प्रबन्धन द्वारा गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. यहां भी डॉक्टरों से सम्पर्क नहीं हो पाया.
डिप्टी कलेक्टर गोविन्द मौर्य व डॉ. आरबी सिंह के नेतृत्व में टीम ने चन्द्रा हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया. यहां स्टाॅफ द्वारा एम्बुलेन्स फिटनेस सर्टीफिकेट एवं बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेन्ट सर्टिफिकेट नहीं प्रस्तुत किया जा सका. उक्त अस्पताल का ब्लड बैंक से भी कोई समन्वय नहीं था. साथ ही अस्पताल परिसर में स्थित मेडिकल स्टोर का लाइसेन्स नवीनीकरण नहीं था. अस्पताल में कोविड हेल्प डेस्क, डॉक्टर चेन्ज रूम और पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नहीं थे. इस रूट पर स्थित हिम सिटी हाॅस्पिटल में भी आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिलीं. यहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर (बीयूएमएस) थे, जबकि सर्जन, आर्थोपैडिक सर्जन, एनिसथिसिया के डॉक्टर मौजूद नहीं थे. अस्पताल के पास फायर एनओसी और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेन्ट का सर्टिफिकेट नहीं था. इसके अलावा कोविड हेल्प डेस्क, इमरजेन्सी यूनिट, प्री एवं पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नहीं था.
खामियां ही खामियां
अपर नगर मजिस्ट्रेट-द्वितीय किंशुक श्रीवास्तव व डॉ. मिलिन्द के नेतृत्व में टीम ने पांच अस्पतालों का निरीक्षण किया. मार्डन हॉस्पिटल मैटरनिटी एण्ड ट्रामा सेन्टर पहुंची टीम को मौके पर कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं मिला. अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या तीन थी, लेकिन एक्स-रे व आपालकालीन चिकित्सा से सम्बन्धित सुविधाएं नहीं थी. अस्पताल में मौजूद स्टाॅफ नर्स के पास नर्सिंग की डिग्री तक नहीं थी. रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के बार में पूछने पर बताया गया कि नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया है. न्यू एसियन हाॅस्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर में भी कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं मिला. यहां अस्पताल के मालिक प्रेम कुमार वर्मा मरीजों का इलाज करते हुए पाए गए, जबकि उनके पास बीएससी की डिग्री है. यहां दूसरे डॉक्टर एनके शुक्ला द्वारा खुद को बीएएमएस डॉक्टर बताया गया, लेकिन न वह डिग्री दिखा सके और न ही सम्बन्धित यूनिवर्सिटी/इन्स्टीट्यूट का नाम बता सके. अस्पताल में फार्मेसी थी, लेकिन उसका लाइसेन्स नहीं था और न ही फॉर्मासिस्ट मौजूद था. एएनएम का कोर्स कर रहे छात्र अस्पताल में नर्सिग की ड्यूटी करते हुए पाये गये.