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कर्नाटक का प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी विधेयक: 10 साल तक की सजा का प्रावधान

कर्नाटक में प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी विधेयक के मसौदे में सामूहिक धर्मांतरण में शामिल व्यक्तियों के लिए तीन से 10 साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. जानिए और क्या प्रावधान हैं.

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Published : Dec 18, 2021, 4:09 AM IST

बेलागवी : कर्नाटक में प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी विधेयक के मसौदे में सामूहिक धर्मांतरण में शामिल व्यक्तियों के लिए तीन से 10 साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. राज्य की भाजपा सरकार यहां चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश कर सकती है.

मसौद में यह भी कहा गया है कि 'धर्म परिवर्तन करने वाले' को इसके लिये जिला मजिस्ट्रेट या अन्य किसी अधिकारी, जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से नीचे की रैंक का अधिकारी न हो, को एक महीने पहले नोटिस देना होगा. इसके अलावा गैर-कानूनी धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह या विवाह के लिये गैर-कानूनी धर्मांतरण को अमान्य समझा जाएगा.

इसके अलावा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और नाबालिगों के धर्मांतरण की स्थिति में परिणाम कठोर होंगे. मसौदे में कहा गया है कि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का गैर-कानूनी धर्मांतरण कराने वाले को तीन से दस साल के कारावास की सजा हो सकती है। साथ ही कम से कम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

इसके अलावा, सामूहिक धर्मांतरण में शामिल व्यक्ति को तीन से 10 साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.

देश में मौजूदा कानून

धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाना भारतीय दंड संहिता-1860 : जबरन धर्म परिवर्तन अधिनियम की धारा 295ए और 298 के तहत अपराध है. हालांकि, ये नियम सीधे तौर पर धर्मांतरण के निषेध को संबोधित नहीं करते हैं. इसके बजाय, धारा 295A में कहा गया है कि यह आपराधिक है यदि किसी वर्ग के धार्मिक विश्वासों का दुर्भावनापूर्ण और जानबूझकर अपमान किया जाता है. इस अपराध में 3 साल तक की जेल या जुर्माना या जुर्माना और जुर्माना दोनों हो सकता है.

धारा 298 एक आपराधिक अपराध है जो किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है. इस अपराध के परिणामस्वरूप एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या कारावास हो सकता है. इन धाराओं में धर्मांतरण के प्रयास और प्रयास के आरोप में सजा दी जा रही है.

प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक का ईसाई समुदाय के नेता भी विरोध कर रहे हैं. इसे सोमवार को कैबिनेट के सामने रखे जाने की उम्मीद है और एक बार वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा और विधान परिषद में पेश किए जाने की संभावना है.

विधेयक पारित नहीं होने देंगे : सिद्धरमैया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा पर लोगों का असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लव जिहाद, धर्मांतरण रोधी जैसे भावनात्मक मुद्दे उठाने का शुक्रवार को आरोप लगाया जिनका मकसद भगवा दल का छुपा एजेंडा लागू करना है.

वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने का विश्वास व्यक्त करते हुए, विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी धर्मांतरण विरोधी विधेयक को पारित नहीं होने देगी जिसे सरकार विधानमंडल के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान पेश करने की योजना बना रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार धर्मांतरण रोधी विधेयक लाने जैसी कोशिश कर रही है.

पढ़ें- प्रस्तावित धर्म परिवर्तन निरोधक कानून के विरोध में बनाई मानव श्रृंखला

इस बीच प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक का बचाव करते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक सी टी रवि ने कहा कि धर्म परिवर्तन वोट हासिल करने का तरीका नहीं बनना चाहिए. उन्होंने सिद्धरमैया सहित कांग्रेस नेताओं से इतिहास पढ़ने और इस बारे में महात्मा गांधी के विचारों को जानने का आग्रह किया. रवि ने दावा किया कि महात्मा गांधी ने भी धर्मांतरण का विरोध किया था.

पढ़ें- विधानसभा में धर्मांतरण रोधी विधेयक पेश किए जाने की संभावना, कांग्रेस ने व्हिप किया जारी

(भाषा इनपुट के साथ)

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