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तीन राजधानियों पर अदालत का फैसला: जगन ने कहा, न्यायपालिका ने 'अपनी सीमा लांघी'

रेड्डी ने कहा, क्या न्यायपालिका कानून बनाएगी? फिर विधायिका का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. विधायिका ने अपनी सीमा लांघी है जो अवांछित और अनावश्यक थी. उन्होंने कहा, हम इस सदन की कार्यवाही उच्च न्यायालय का अपमान करने के लिए नहीं कर रहे हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी

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Published : Mar 25, 2022, 12:41 PM IST

अमरावती:आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को कहा कि संघीय भावना के खिलाफ जाकर तीन राजधानियों के मामले पर अव्यवहारिक फैसला कर 'न्यायपालिका ने अपनी सीमा लांघी' है. उन्होंने कहा कि तीन मार्च को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए फैसले को 'लागू नहीं किया जा सकता.' उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार तीन अलग-अलग राजधानी स्थापित कर विक्रेंदीकरण की योजना पर आगे बढे़गी क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है.

रेड्डी ने कहा, विक्रेंदीकरण हमारी नीति है. राजधानी का फैसला हमारा अधिकार और जिम्मेदारी है. उन्होंने यह बात विधानसभा में संक्षिप्त चर्चा के दौरान कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ का फैसला 'न केवल संविधान पर बल्कि विधायिका की शक्तियों पर सवाल उठाने जैसा था.' उन्होंने कहा कि यह संघीय भावना और विधायिका की शक्तियों के विपरीत है.

रेड्डी ने कहा, क्या न्यायपालिका कानून बनाएगी? फिर विधायिका का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. विधायिका ने अपनी सीमा लांघी है जो अवांछित और अनावश्यक थी. उन्होंने कहा, हम इस सदन की कार्यवाही उच्च न्यायालय का अपमान करने के लिए नहीं कर रहे हैं. हम उच्च न्यायालय का बहुत सम्मान करते हैं. साथ ही विधायिका की भी विधानसभा के सम्मान और शक्तियों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है.

उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले का संदर्भ दिया जिसमें राज्य सरकार को और आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण को एक महीने के भीतर राजधानी शहर अमरावती में पेयजल, नाली, बिजली जैसे अवसंरचना विकास कार्यो को पूरा करने का निर्देश दिया गया है और सवाल किया कि क्या यह संभव है.

पढ़ें:आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला- सीआरडीए एक्ट के तहत अमरावती होगी राजधानी

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायलय ने फैसला दिया था कि राज्य विधायिका राजधानी को स्थानांतरित करने, उसे दो या तीन हिस्से में करने संबंधी विधेयक लाने की 'अर्हता नहीं रखती है.'

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