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गया : दुर्गा पूजा में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल हैं मसूद मंजर, पढ़ें खबर - दुर्गा पूजा

2000 में यहां मसूद मंजर ने दुर्गा पूजा के अवसर पर मूर्ति की स्थापना की थी और उसके बाद उन्होंने पड़ोस के लोगों को मिलाकर एक समिति बनाई जिसमें दोनों संप्रदायों के लोग शामिल थे. मसूद मंजर शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से वकील हैं.

दुर्गा पूजा में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
दुर्गा पूजा में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

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Published : Oct 12, 2021, 2:53 AM IST

गया:इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि की धूम है. सभी राज्यों में दशहरे की तैयारियां भी अंतिम चरणों में हैं. बिहार के गया में भी दशहरा की तैयारियां चल रही हैं. जानकारी के मुताबिक यहां के गया में फतेहगंज पूजा पंडाल कमेटी के मुखिया और अंगरक्षक मुस्लिम हैं.

फतेहगंज मोहल्ला की पूजा समिति सांप्रदायिक सौहार्द, विकास और सद्भावना, प्रेम, गंगा-जामनी सभ्यता और भाईचारे की मिसाल है. बता दें, फतेहगंज मोहल्ला गया शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित है. इस मोहल्ले में एक भी मुस्लिम घर नहीं है. हर साल दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां 'मां दुर्गा' की एक मूर्ति लगाई जाती है, जिसके लिए एक औपचारिक आयोजन स्थल बनाया जाता है. इस पूजा समिति की खास बात यह है कि इसका मुखिया और रक्षक मसूद मंजर हैं.

दुर्गा पूजा में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

2000 में यहां मसूद मंजर ने दुर्गा पूजा के अवसर पर मूर्ति की स्थापना की थी और उसके बाद उन्होंने पड़ोस के लोगों को मिलाकर एक समिति बनाई जिसमें दोनों संप्रदायों के लोग शामिल थे. मसूद मंजर शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और पेशे से वकील हैं. 55 वर्षीय मसूद मंजर जिला प्रशासन की शांति समिति के सदस्य भी हैं और जब भी किसी शहर या जिले में सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है तो वे कानून-व्यवस्था बहाल करने और भाईचारा बनाए रखने की कोशिश करते हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मसूद मंजर ने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द, प्रेम, भाईचारा और बंधुत्व की जिस परंपरा को मुसलमानों ने हिंदुओं के साथ देश में स्थापित किया है, उसने न केवल हमें इस सांस्कृतिक विरासत को विकसित करने में मदद की है बल्कि इसे और विकसित करने की जरूरत है. 25 साल पहले उन्होंने जो पहल की थी वह आज भी जीवित है.

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