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AMRITPAL SINGH HEARING HC: पंजाब हाईकोर्ट ने मान सरकार को लगाई फटकार, पूछा- 80 हजार पुलिसकर्मी क्या कर रहे थे

पंजाब में अमृतपाल सिंह मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की कार्रवाई पर असंतुष्ट दिखी और सरकार पर कई सवाल उठाए. हालांकि, इस दौरान महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखा.

AMRITPAL SINGH HEARING IN HIGH COURT PUNJAB GOVERNMENT CRITICIZED IN AMRITPAL SINGH CASE
अमृतपाल सिंह मामले में पंजाब सरकार की हाई कोर्ट में सुनवाई

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Published : Mar 21, 2023, 2:03 PM IST

Updated : Mar 21, 2023, 4:09 PM IST

चंडीगढ़: अमृतपाल सिंह के मामले की आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मौके पर जस्टिस एनएस शेखावत ने कई सवाल पूछे जिनका एजी ने जवाब दिया. उन्होंने पूछा कि एनएसए क्यों लगाया जाता है? पूरी साजिश रची गई थी फिर अमृतपाल सिंह कैसे फरार हो गया? हाईकोर्ट ने पूछा 80 हजार जवान क्या कर रहे थे? उसे छोड़कर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए चार दिन बाद की तारिख दी.

एजी ने किया बचाव : मामले की सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि अगर अमृतपाल सिंह फरार हुआ है तो यह खुफिया तंत्र की नाकामी है. इस मौके पर एजी विनोद घई ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हम सशस्त्र थे लेकिन हमने बल प्रयोग से परहेज किया. कुछ मामले अदालत में चर्चा के लिए बहुत संवेदनशील होते हैं. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की पूरी कोशिश कर रहे हैं. पुलिस ने अपने हलफनामे में साफ कहा है कि अमृतपाल न पहले हिरासत में था और ना अब है.

अमृतपाल सिंह पर लगा NSA: यह भी याद रहे कि अमृतपाल सिंह पर भी एनएसए (NSA) लगाया गया है. हालांकि कोर्ट की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के खुफिया तंत्र के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. दरअसल, अमृतपाल सिंह पुलिस को एक झलक दिखाकर गुम हो गया. महाधिवक्ता ने सारी जानकारी दी है कि अमृतपाल पर एनएसए लगाया गया है.

क्या है एनएसए एक्ट:एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाया गया था. इस कानून को लाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि जो कोई भी देश के भीतर दंगे जैसी स्थिति पैदा करता है, उस व्यक्ति को राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा भारत के किसी भी हिस्से से गिरफ्तार किया जा सकता है और एनएसए अधिनियम के तहत जेल में रखा जा सकता है. अगर केंद्र या राज्य सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है या धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है, तो ऐसी स्थिति में पुलिस उसे बिना किसी वारंट के हिरासत में ले सकती है और 12 महीने के लिए जेल में डाल सकती है. उल्लेखनीय है कि इस कार्रवाई के खिलाफ आरोपी न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. बता दें कि संदिग्ध को 12 महीने से ज्यादा जेल में नहीं रखा जा सकता है.

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इंदिरा गांधी ने अधिनियम का उपयोग किया: यह एक निवारक निरोध कानून है जिसका अर्थ है कि किसी भी घटना के होने से पहले एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा सकता है. जब भारत आजाद हुआ तो प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट 1950 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के तहत अस्तित्व में आया और यह एक्ट 31 दिसंबर 1969 को समाप्त हो गया. 1971 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तब आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम यानी मीसा एक्ट को लागू किया गया था. इस कानून का इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जमकर इस्तेमाल किया था. 1980 से 1984 तक इंदिरा गांधी ने इस कानून के तहत कई लोगों पर कार्रवाई की.

Last Updated : Mar 21, 2023, 4:09 PM IST

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