नई दिल्ली:अमरनाथ तीर्थयात्रा सोमवार की सुबह फिर से शुरू होने के बाद आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने कहा कि त्रासदी से बचा जा सकता था अगर बेहतर व्यवस्था और सख्त नियमों का पालन किया गया होता. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने कहा, '2005 से 2015 के बीच पवित्र गुफा के लिए तीर्थयात्रियों के मार्ग में हर साल लगभग 100 यात्री मर जाते थे.
डॉ ब्रिगेडियर बीके खन्ना बड़े योद्धा रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं. उन्होंने वर्ष 2005-2015 के बीच एनडीएमए का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा,'तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने हमसे इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया और हमने गहन विश्लेषण, मॉक ड्रिल किया और कई दिशानिर्देश जारी किये. मैं तब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में था.
शुक्रवार की घटना ने 16 लोगों की जान ले ली, बालटाल में आवास स्थल को नष्ट कर दिया. यह वही क्षेत्र है, जब मैं एनडीएमसी में था और हमने 2015 में जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार से शिविर स्थल को थोड़ा और नीचे स्थानांतरित करने का आग्रह किया था. लेकिन मेरे अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया था. साइट पर एक जलधारा है जो ऊपर से आता है और वहां नदी के साथ विलीन हो जाता है.'
ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, 'तब अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया था. मेरे अनुरोध के हिसाब से बालटाल में इस शिविर स्थल को नीचे (1KM) स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि नीचे की ओर एक सेना का उच्च ऊंचाई वाला युद्ध विद्यालय था और आवास के लिए बहुत बड़ी जगह थी.अगर अनुरोध स्वीकार कर लिया गया होता तो हो हादसे को टाला जा सकता था.