वाराणसी : कांग्रेस के बनारसी बाहुबली अजय राय को इन दिनों में मुख्तार अंसारी का डर का सता रहा है. मुख्तार अंसारी जिन्होंने 2014 के लोकसभा के दौरान नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय का समर्थन किया था. लेकिन, अब अजय राय को मुख्तार अंसारी का डर सता रहा है. जिसे लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा देने की गुहार लगाई है. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि, क्या अजय राय का डर सियासी तो नहीं है.
क्या अजय राय का डर सियासी है ?
वैसे तो कांग्रेस के बनारसी बाहुबली अजय राय और मऊ से बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बीच अदावत काफी पुरानी है. मुख्तार अंसारी पर कांग्रेस पूर्व विधायक अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या का आरोप है, लेकिन, बावजूद इसके 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन किया तो अजय राय ने भी उसका स्वागत किया. इसके ऐसा माना जाने लगा कि अब पूर्वांचल के इन दो बाहुबलियों के बीच दुश्मनी खत्म हो जाएगी. लेकिन, छह साल बाद अब जब अजय राय ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर खुद को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा देने की गुहार लगाई है, तो सवाल उठ रहे हैं कि, अजय राय का ये डर कितना सही है.
कांग्रेस पर मुख्तार का बचाने का आरोप
एक तरफ कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय खुद को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा बताते हुए मुख्यमंत्री योगी से सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी पर ही मुख्तार को बचाने का आरोप लग रहा है. मुख्तार अंसारी इन दिनों पंजाब की जेल में बंद हैं. पंजाब में चल रहे एक मुकदमे की सुनवाई के लिए वहां की पुलिस मुख्तार को यूपी से लेकर गई थी. लेकिन, लाख कोशिशों की बाद भी मुख्तार को दोबारा अब तक पंजाब की जेल से यूपी नहीं लाया जा सका है. जिसकी वजह से मुख्तार अंसारी पर चल रहे मुकदमों का ट्रायल अभी रुका हुआ है. यूपी पुलिस मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश लाने के लिए अब तक 32 बार कोशिश कर चुकी है, लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम रही है.
वहीं मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने राजस्थान में जाकर धूमधाम से अपनी शादी की. अब्बास अंसारी पर यूपी पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा है. पंजाब और राजस्थान दोनों ही जगह कांग्रेस पार्टी की सरकार है. इन सबको देखते हुए पूर्व बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी और बीजेपी विधायक अलका राय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पत्र लिखा. अलका राय ने अपने पत्र में कांग्रेस पार्टी पर मुख्तार अंसारी को बचाने का आरोप लगाया. अलका राय अब भी मुख्तार से खौफजदा हैं. अलका राय का कहना है कि कांग्रेस और प्रियंका गांधी मुख्तार जैसे माफिया को बचा रही है.
सरकार की सख्ती के बाद अजय राय को सताने लगा मुख्तार का डर
योगी सरकार इन दिनों बाहुबलियों पर काफी सख्त नजर आ रही है. ऐसे में वाराणसी के जिला प्रशासन ने अजय राय के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर दिए. पूर्व विधायक अजय राय पर 26 मुकदमे में दर्ज हैं, जिसे आधार बनाकर प्रशासन ने उसके शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं. अपने शत्र लाइसेंस निरस्त होने के बाद अजय राय ने योगी सरकार पर द्वेष पूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.
अजय राय का सरकार पर आरोप
अजय राय आरोप है कि सरकार की मंशा साफ नहीं है. एक तरफ अपराधियों और माफियाओं को संरक्षण ना देकर यूपी छोड़ देने का दावा मुख्यमंत्री योगी करते हैं तो वहीं अपराधियों को संरक्षण देते हैं. साथ ही इन अपराधियों से जिन्हें खतरा है, उनकी सुरक्षा वापस ले ली जाती है. मैं मुख्तार अंसारी के खिलाफ सीधे लड़ाई लड़ रहा हूं, इसके बाद भी मुझे सुरक्षा नहीं दी जा रही है. अजय राय तो यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि मुख्तार अंसारी बीजेपी के इशारे पर काम करते हैं. अजय राय के मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए बीजेपी ने बीएसपी से मिलीभगत कर मुख्तार को बनारस से चुनावी मैदान में उतरवाया था.
भाई की हत्या के मामले में मुख्तार के खिलाफ अजय राय हैं गवाह
3 अगस्त 1991 को अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या हुई थी. इस मामले में भी मुख्तार अंसारी आरोपी हैं और अजय राय इस प्रकरण के चश्मदीद गवाह हैं. इस मामले की सुनवाई शुरू होने के साथ ही बीते दिनों जब अजय राय की गवाही चल रही थी. उस वक्त कचहरी में हुए बम ब्लास्ट की वजह से इस मुकदमे में जिरह रुक गई थी, लेकिन नौ फरवरी से इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हुई.
क्या मुख्तार से इतना डरना जायज है ?
मुख्तार अंसारी जेल में रहते हुए उसके खौफ से कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय और कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय का खौफजदा होना कहां तक जायज है. इस बारे में जब हमने रिटायर्ड आईजी विनय कुमार पांडेय से बातचीत की तो उन्होंने साफ तौर पर बस इतना ही कहा कि राजनीति में माफिया गिरी कोई नई बात नहीं है. राजनीतिक पार्टी माफियाओं के रसूख का फायदा लेने के लिए उन्हें टिकट देती हैं और माफिया भी राजनीतिक संरक्षण पाकर अपने काले कारनामों को सफेद करने के लिए राजनीति की शरण में आ जाते हैं, लेकिन एक वक्त के बाद जब यह माफिया नेताओं के लूपहोल्स जानकर अपने हथकंडे खेलना शुरू करते हैं. तब माफिया राजनीति पर हावी होने लगते हैं और इन्हें हैंडल करना मुश्किल हो जाता है और रही बात जेल में रहने के बाद मुख्तार के खौफ की तो यह कोई नई बात नहीं है.
रिटायर्ड आईजी विनय कुमार पांडेय कहते हैं कि बड़े माफिया कोई काम नहीं करते. इनका नेटवर्क इतना मजबूत होता है कि इनकी तरफ से किसी की जान लेना या किसी को कॉल करना बहुत बड़ी बात नहीं होती. सबको पता है कि जेल से बड़े-बड़े गैंग ऑपरेट हो रहे हैं, लेकिन इस पर रोक लगाना असंभव हो चुका है और यदि दो बड़े नेता जेल में बंद मुख्तार से खौफ खा रहे हैं तो निश्चित तौर पर यह चिंता का विषय है और इसे समय रहते ध्यान देने की जरूरत है.