नई दिल्ली : टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस (एईएक्स) के वरिष्ठ केबिन क्रू सदस्यों ने कंपनी द्वारा आचार संहिता के कथित उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
वरिष्ठ कर्मचारियों का दावा है कि उन्हें मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और अनुबंध अचानक समाप्त किये जा रहे हैं. इससे एयरलाइन प्रबंधन के काम करने के तरीके पर संदेह पैदा होता है. एईएक्स कर्मचारी संघ ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भेजे पत्र में कहा है, “प्रबंधन द्वारा जारी नवीनतम नियुक्ति पत्र के अनुसार, केबिन क्रू सदस्यों को किसी भी ट्रेड यूनियन गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है. यह निर्णय बीएमएस के तहत पंजीकृत एयर इंडिया एक्सप्रेस कर्मचारी संघ की एकता को तोड़ने और उसके काम को रोकने के लिए लिया गया है.”
पत्र में आगे दावा किया गया है कि अंजलि चटर्जी के नेतृत्व वाली एचआर टीम द्वारा हाल ही में लिए गए निर्णय के अनुसार, चार केबिन क्रू सदस्यों के अनुबंधों का बिना किसी कारण के नवीनीकरण नहीं किया गया. यूनियन ने दावा किया कि प्रबंधन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों को पूरा करने के बावजूद अनुबंध नवीनीकरण के लिए मूल्यांकन कार्यक्रम के बाद यह निर्णय लिया गया है.
संघ ने कहा, “नौ केबिन क्रू के अनुबंधों को पांच साल से घटाकर एक साल कर दिया गया और केबिन क्रू के अन्य सदस्यों के अनुबंध की अवधि भी घटाकर तीन साल कर दी गई. कंपनी एचआर के सर्कुलर में एक साल के लिए सशर्त अनुबंध जारी करने के लिए कोई पैरामीटर निर्धारित नहीं है. यह कटौती कार्रवाई का कारण बताए बिना मूल्यांकन कार्यक्रम के आधार पर की गई है। संचार में कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई.”
इसमें कंपनी की मूल्यांकन टीम द्वारा उत्पीड़न और यातना का भी आरोप लगाया गया। पत्र में कहा गया है, “मेघा सिंघानिया के नेतृत्व में मूल्यांकन के दौरान, केबिन क्रू से उनके रंग, भाषा और उच्चारण के बारे में पूछा गया और टिप्पणी की गई, और मातृत्व अवकाश के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने वाली महिला क्रू की प्रदर्शन क्षमता पर सवाल उठाये गये. यह उत्पीड़न केबिन क्रू के लिए मानसिक तनाव पैदा करता है जो यात्रियों की सुरक्षा को भी प्रभावित कर सकता है."