बैठक पर केजरीवाल की सोच पर भाकपा माले की प्रतिक्रिया पटना/ दिल्ली: विपक्षी एकता के लिए पटना में बुलाई गई 23 जून 2023 की बैठक में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. उनकी पार्टी ऐलान कर दिया है कि जिस भी गठबंधन में कांग्रेस रहेगी वो उसका हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे. बता दें कि शिमला में कांग्रेस द्वारा इस बैठक के अगले चरण की मेजबानी की जाएगी. इस बैठक में मौजूद 15 में से लगभग 11 विपक्षी दलों ने केंद्र के उस ट्रांसफर पोस्टिंग अध्यादेश का विरोध करने के लिए केजरीवाल का समर्थन किया है. लेकिन कांग्रेस को लेकर पेंच फंस गया.
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11 दलों का रुख साफ, कांग्रेस ने अध्यादेश पर उलझाया : केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि 23 जून को हुई बैठक में 15 पार्टियां शामिल हुई थी. इनमें राज्यसभा में 12 दलों का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है, लेकिन कांग्रेस को छोड़कर सभी 11 दलों ने अपना रुख स्पष्ट किया है. इन दलों ने ये भी घोषणा की है कि वो राज्यसभा में इसका विरोध भी करेंगे, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक अपना कोई रुख साफ नहीं किया है.
आम आदमी पार्टी ने की बड़ी घोषणा: आम आदमी पार्टी ने सीधे-सीधे कांग्रेस पर दबाव बनाते हुए कहा है कि 'काला अध्यादेश' पर कांग्रेस की झिझक खुलकर दिख रही है. कांग्रेस सार्वजनिक रूप से निंदा करने से कतरा रही है. ऐसे में समान विचाराधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठक में शामिल हो पाना AAP के मुश्किल होगा, जहां कांग्रेस भागीदार होगी.
आम आदमी पार्टी का कांग्रेस पर आरोप: केजरीवाल की पार्टी ने आरोप लगाया है कि 'केंद्र के ट्रांसफर पोस्टिंग अध्यादेश' के खिलाफ कांग्रेस का मोदी को मौन समर्थन मिला हुआ है. पटना में समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का आग्रह किया था. लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था.
''कांग्रेस, एक राष्ट्रीय पार्टी है जो लगभग सभी मुद्दों पर एक स्टैंड लेती है, ने अभी तक काले अध्यादेश पर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है. हालांकि, कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए.''- आम आदमी पार्टी
'कांग्रेस कर रही मोदी का समर्थन': आम आदमी पार्टी ने आगे कहा कि कांग्रेस की चुप्पी, उसकी असली मंशा पर संदेह पैदा करती है. व्यक्तिगत चर्चाओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में इस पर मतदान से दूर रह सकती है. इस मुद्दे पर कांग्रेस के मतदान से दूर रहने से भाजपा को भारतीय लोकतंत्र पर अपने हमले को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक से पहले क्या कहा था: हालांकि जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्षी एकता की मीटिंग में शामिल होने आ रहे थे तब उन्होंने मीडिया कर्मियों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि''केजरीवाल को ये पता होना चाहिए कि अध्यादेश का विरोध या समर्थन बाहर नहीं किया जाता.. वो सदन के अंदर होता है. जब संसद शुरू होगी तब सभी विपक्षी पार्टियां मिलकर एजेंडा तय करेंगी. ''
'आम आदमी पार्टी की रीडिंग दुर्भाग्यपूर्ण' : बैठक में शामिल रहे भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी केजरीवाल को लेकर कहा है कि ''आम आदमी पार्टी जो सोच रही है. वैसा कुछ नहीं है. अगर वह यह निष्कर्ष पर आती है कि बैठक में आर्डिनेंस के लिए कांग्रेस में दुविधा है, तो ऐसा कुछ है. उनकी रीडिंग गलत है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है. वैसे यह भी एक पासिंग फेज है. सब मिलजुलकर इसे आगे बढ़ाएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि यह संविधान का, ज्युडिशरी का और संघीय ढांचे का सवाल है.''
AAP की नजर में 'अध्यादेश': काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक महत्वपूर्ण खतरा है. यदि चुनौती न दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में फैल सकती है. जिसके परिणामस्वरूप, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों से सत्ता छीन ली जा सकती है. इस काले अध्यादेश को हराना महत्वपूर्ण है. अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ.