बेगूसराय :डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन बिहार के बेगूसराय में एक डॉक्टर ने इससे भी एक कदम आगे बढ़कर मानवता की मिसाल पेश की है. एक अनजान वृद्ध की मौत के बाद डॉक्टर ने उसे मुखाग्नि देकर एक बेटे का धर्म भी निभाया हैं.
इस कोरोना काल में कहीं अपने-अपनों का साथ छोड़ रहे हैं, तो कहीं चाह कर भी लोग अपनों के पास नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे समय में बेगूसराय के बछवाड़ा पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर रामकृष्ण जैसे लोग ही हैं, जो इंसानियत और मानवता जैसे शब्दों का मोल समाज में कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. डॉक्टर रामकृष्ण ने जो किया है, आज उसकी हर तरफ तारीफ हो रही है.
क्यों हो रही हैं डॉक्टर साहब की चर्चा
बेगूसराय में चमथा नाम का एक पंचायत है. इसी के वार्ड संख्या दो स्थित चमथा छोटखूंट के रहने वाले 55 वर्षीय धीरेंद्र सिंह की कोरोना से मौत हो गई थी, लेकिन उनके शव को मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं था. उनका एकमात्र बेटा चंडीगढ़ में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है, जो लॉकडाउन के कारण वहां फंसा है.
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मृतक का भाई व भतीजा भी बीमार, नहीं आये पड़ोसी
मृतक का एक भाई व भतीजा घर पर ही हैं, लेकिन विडंबना देखिए कि दोनों ही बीमार हैं. ऐसे में अस्पताल से श्मशान घाट तक शव के साथ मृतक की एकमात्र पत्नी ही थी. मृतक को मुखाग्नि देने के लिए जब मेडिकल टीम ने उसके घर-परिवार व समाज के लोगों को बुलावा भेजा तो कोई भी नहीं आया.