हैदराबाद: पाकिस्तान में इन दिनों तेलंगाना के 20 आतंकवादी छिपे हैं. ये आतंकवादी पाकिस्तान में सेंटर बनकर काम कर रहे हैं और वहां से साजिश रच रहे हैं. ये मासूम युवाओं को आतंकवाद के लिए भड़का कर रहे हैं. राज्य पुलिस के लिए उनकी रणनीति का पता लगाना एक चुनौती बन गई है क्योंकि ये आतंकी 90 के दशक में विदेश भाग गए थे और अब पाकिस्तान में छिपे हुए हैं.
मालूम हो कि तेलंगाना पुलिस ने दशहरे के मौके पर राजधानी में भारी तबाही मचाने की साजिश का पर्दाफाश केंद्रीय खुफिया एजेंसी की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर किया था. देश के दूसरे राज्यों के आतंकवादी पाकिस्तान में रह रहे हैं और वहां से इन राज्यों को तबाह करने की साजिश रच रहे हैं. उनमें से लगभग 20 आतंकवादी तेलंगाना से हैं. उनमें से छह शहर के युवाओं के साथ नियमित रूप से संपर्क में हैं. कहा जाता है कि उन आतंकियों ने पिछले तीन दशकों में हैदराबाद को निशाना बनाकर 30 से अधिक आतंकवादी घटनाओं में भूमिका निभाई है.
खुफिया सूत्रों को भनक लगी कि उपयोग में आसानी के कारण आतंकवादी बम के बजाय शक्तिशाली हथगोले भेज रहे थे. पता चला कि इसके लिए प्लास्टिक के हथगोले बनाए जा रहे हैं. एक बार जब यह फट जाता है, तो प्लास्टिक की ढाल फट जाती है और टुकड़े आसपास के लोगों के शरीर में घुस जाते हैं. प्लास्टिक के प्रभाव से पूरा शरीर सेप्टिक हो जाता है और इलाज मुश्किल हो जाता है.
वीडियो संदेशों के साथ बर्बरता की रणनीति!: पाकिस्तान में हैदराबाद को बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की योजना थी. पाकिस्तानी सीमा से ड्रोन से हथियार पहुंचाए गए. मुसारामबाग के अब्दुल जाहिद को धमाकों के लिए चुना गया था. ज्ञात हो कि नगर एसआईटी व टास्क फोर्स पुलिस ने भाजपा, आरएसएस व त्योहारों को निशाना बनाकर नरसंहार करने को तैयार तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
यह साजिश आरोपी गोरी के नेतृत्व में रची गई थी, जो 26 साल से छिपा है और पूरे देश में आतंकवादी हमले कर रहा है. पाकिस्तान में छिपे इस कट्टर आतंकवादी का उपनाम अबू सुफियान, सरदार साहब और फारू हैं. वह केंद्र सरकार द्वारा घोषित 18 'स्वघोषित' आतंकवादियों में से एक है. उसने एक अल्पसंख्यक संगठन में काम किया और 1991 में बाहर आया. वह सऊदी अरब गया और लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ काम किया. वह पाकिस्तान से भड़काऊ भाषणों के साथ तेलंगाना के युवाओं को वीडियो भेज रहा है.
हालिया साजिश में मुख्य किरदार अब्दुल जाहिद का भाई माजिद पाकिस्तान में गोरी का निजी सहायक है. जाहिद ने बांग्लादेशी डालिन को अपने में मिलाया जो 2005 में बेगमपेट में टास्क फोर्स कार्यालय पर आत्मघाती हमले में शामिल था. इस मामले में 12 साल जेल में बंद जाहिद बाहर तो आया लेकिन आतंकवाद नहीं छोड़ा. भाई माजिद के प्रोत्साहन से वह युवाओं को आतंकी बना रहा है. जाहिद, मोहम्मद समीउद्दीन और माज हसन फारूक के साथ गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों का भी चरमपंथ का इतिहास रहा है. उसे 2018 में आईएसआईएस ( ISIS) में शामिल होने के लिए सीरिया की यात्रा के दौरान मुंबई में गिरफ्तार किया गया था.
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आतंकवादियों ने भर्ती में हथगोले के परिवहन और विस्फोट की साजिश का खुलासा न हो इसका ध्यान रखा है. निगरानी एजेंसियों द्वारा पता लगाने से बचने के लिए एक एन्क्रिप्टेड ऐप का इस्तेमाल किया गया था. इसके माध्यम से उन्होंने गुप्त सांकेतिक भाषा में संवाद किया. पुलिस इन विवरणों की जांच कर रही है. बताया जा रहा है कि 20 संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है. आशंका जताई जा रही है कि जाहिद को पाकिस्तान से हवाला के जरिए आतंकी गतिविधियों के लिए 30 लाख रुपए मिले थे.