दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

16 दिवसीय गणगौर पूजन की शुरूआत, 4 अप्रैल को मनाया जाएगा महोत्सव

राजस्थान के साथ ही अन्य कई प्रदेशों में गणगौर का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ 4 अप्रैल को मनाया (Gangaur puja 2022 starts in Jaipur) जाएगा. हालांकि 16 दिन की गणगौर पूजा धुलंडी (18 मार्च) से शुरू हो गई है. महिलाएं और युवतियां 16 दिन तक विधि-विधान से गणगौर की पूजा करेंगी.

By

Published : Mar 19, 2022, 5:45 PM IST

raw
raw

जयपुर:रंग पर्व होली से ही गणगौर पूजा का आगाज (Gangaur puja 2022 starts in Jaipur) हो जाता है. 16 दिवसीय पूजा 18 मार्च से शुरू हो गई है. आगामी 4 अप्रैल 2022 को पूरे विधि विधान से गणगौर माता पूजी जाएंगी. माता गणगौर की पूजा चैत्र कृष्ण प्रथम यानी धुलंडी से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया यानी तीसरे नवरात्र को पूरी होती है. 16 दिन तक चलने वाली गणगौर (16 day long Gangaur puja 2022) पूजा यूं तो राजस्थान का मुख्य पर्व है, लेकिन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी यह त्योहार मनाया जाता है. गणगौर को गौरी तृतीया भी कहते हैं. इस बार गणगौर 4 अप्रैल को मनाई जाएगी.

गणगौर पूजा का महत्व: (Importance Of Gangaur Puja) जानकारी के अनुसार, अखंड सौभाग्य के लिए मनाया जाने वाला गणगौर पर्व मनाने के लिए कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं घर-घर में गणगौर यानी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. इसमें ईसर और गौर यानी शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर सोलह शृंगार कर सजाया जाता है. यह पूजा 16 दिन तक लगातार चलती है.

ऐसे होती है पूजा:गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं और सुहागिन स्त्रियां सुबह पारंपरिक वस्त्र और आभूषण पहनकर सिर पर लोटा लेकर, बाग-बगीचों में जातीं हैं. वहीं से ताजा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुईं घर आती हैं. इसके बाद मिट्टी से बने शिव स्वरूप ईसर और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा और होली की राख से बनी 8 पिंडियों को दूब पर एक टोकरी में स्थापित करती हैं.

यह भी पढ़ें-राजस्थान में पर्यटकों पर चढ़ा होली का रंग, पुष्कर में उड़े गुलाल, चित्तौड़गढ़ में फाग का खुमार

16 दिन, 16 छींटे और 16 श्रृंगार:शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर संपूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित करके चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. पूरे 16 दिन तक दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी, हल्दी और काजल की लगाई जाती हैं. दूब से पानी के 16 बार छींटे 16 शृंगार के प्रतीकों पर लगाए जाते हैं. गणगौर (गौर तृतीया) को व्रत रखकर कथा सुनकर पूजा पूर्ण होती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details