हैदराबाद :देश मेंलोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिरभारतीय संसद पर 22 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने हमला कर दिया. हमले में 9 लोग मारे गये थे. इनमें 6 सुरक्षाकर्मी, संसद के 2 सुरक्षाकर्मी और एक माली की मौत हो गई थी. देश के सबसे सुरक्षित स्थलों में से एक संसद के सुरक्षा घेरे को भेद कर आतंकवादी परिसर के भीतर प्रवेश कर गये, लेकिन मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने अपने जान की बाजी लगाकर संसद भवन के भीतर प्रवेश करने से रोक दिया.
संसद में उस दिन शीतकालीन सत्र चल रहा था. हादसे के दिन महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान हंगामे के बाद सदन को स्थागित कर दिया गया था. इसी बीच तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी सदन से बाहर जा चुकी थीं. हमले के समय सदन के भीतर बड़ी संख्या में बड़ी संख्या सदस्य मौजूद थे. सुबह 11.30 बजे आतंकवादियों और भारतीय सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गया था जो दोपहर 4 बजे तक चला था. इस दौरान सभी 5 हमलावर मारे गये थे.
क्या हुआ हमले के दिन
13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. सुबह करीब 11:40 बजे संसद एक जाली स्टीकर लगी सफेद एंबेसेडर कार संसद परिसर के बाहरी इलाके में घुसा. कार में 5 आतंकवादी संसद परिसर में घुस आए. एके-47 राइफलों, हथगोले और अन्य घातक हथियारों के पहुंचे आंतवादियों की योजना सदन के भीतर प्रवेश कर व्यापक तबाही मचाना था. लेकिन इसी बीच कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव ने परिसर के भीतर एंबेसेडर कार लेकर पहुंचे आतंकवादियों की गतिविधियों पर शक हुआ. संसद भवन को सुरक्षित करने के लिए कांस्टेबल कमलेश कुमारी संसद भवन के एक नंबर गेट को बंद करने के लिए पहुंची. इसी बीच आतंकवादियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दिया. इससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई. इस दौरान संसद भवन के सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने जवाबी फायरिंग कर आतंकवादियों के मंसुबे पर पानी फेर दिया.