सूरजपुर: देश और प्रदेश में कई ऐसे धर्मस्थल हैं, जहां लोग देवी-देवताओं से अपने लिए मन्नत मांगते है. लेकिन सूरजपुर (Surajpur) जिले का खोपा धाम (Khopa Dham )जहां दानव की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दरबार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है. यहां हर किसी की मन्नत पूरी होती है. वहीं, मन्नत पूरी होने के बाद यहां बकरे और मुर्गे की बलि दी जाती है. इसके साथ ही शराब भी चढ़ाया जाता है.
आईए जानते हैं कि ये कैसा है धाम है और इन मान्यताओं की पीछे की क्या कहानी है...
दानव की होती है पूजा
दरअसल, इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है. मन्नत के लिए बांधे गए नारियल और धागे से यहां के पूजा का माहौल साफ तौर पर दिखता है. लेकिन इस पूजा में किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि दानव की पूजा होती है.दानव का नाम है बाकासुर, जिसे स्थानीय लोग दानव देवता के नाम से भी जानते है. इनकी स्थापना खोपा गांव में की गई है. इसलिए इस धाम को खोपा धाम भी कहा जाता है.
आसपास के लोगों में है असीम श्रद्धा
वहीं, खोपा गांव के ही नहीं बल्कि आसपास के कई प्रदेशों के भी ये आस्था का केन्द्र है. यहां तमाम लोग अपनी मान्यता लेकर आते है और मनचाहा मुराद पाकर जाते है. इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है बतायी जाती है. कहा जाता है कि बकासुर नाम का दानव खोपा गांव के बगल से गुजरती रेड नदी में रहते थे. गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वो वहीं गांव के बाहर एक स्थान पर रहने लगे. जिसके बाद अपनी पूजा के लिए उन्होंने बैगा जाति के लोगों को ही स्वीकृति प्रदान की. यही वजह है कि यहां पूजा कोई पंडित नहीं बल्किआदिवासी जनजाति बैगा ही कराते है.