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सूरजपुर: नगर सैनिकों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, विभिन्न परेशानियों से कराया अवगत

कई साल से वेतन विसंगति और अन्य समस्याओं से जूझ रहे नगर सैनिकों ने शनिवार को सूरजपुर कलेक्टर को राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और महानिदेशक नगर सेना के नाम ज्ञापन सौंपा है.

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नगर सैनिकों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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Published : Sep 5, 2020, 8:12 PM IST

सूरजपुर: पिछले कई सालों से वेतन विसंगति को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे नगर सैनिकों ने शनिवार को जिला कलेक्टर को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है. शनिवार को सूरजपुर में सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष नगर सैनिकों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और महानिदेशक नगर सेना के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन के जरिए बताया गया कि नगर सैनिकों से पूरा काम पुलिस जवानों की तरह लिया जाता है. लेकिन वेतन के नाम उन्हें महज 12 हजार रुपये दिए जाते हैं.

नगर सैनिकों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

छत्तीसगढ़ नगर सेना सैनिक परिवार कल्याण एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी किया है. इनके परिपालन में मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार में नगर सेना के जवानों को पुलिस आरक्षक के समान वेतन दिया जाता है. बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष में रहते हुए स्वयं तत्कालीन मुख्यमंत्री को नगर सैनिकों को समान कार्य समान वेतन देने के लिए प्रेषित किया था, लेकिन वर्तमान में वे स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में तत्काल समान कार्य समान वेतन लागू किया जाना चाहिए.

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महिलाओं के सामने है तलाक की नौबत

नगर सैनिकों ने बताया कि पूरे साल उन्हें छात्रावास की ड्यूटी में भेजा जाता है. जहां 24 घंटे ड्यूटी करना पड़ता है. ऐसे में वे अपने बच्चे और परिवार से नहीं मिल पाते हैं. जिससे उनका परिवार में टूटने की स्थिति में आ गया है. घर में आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है. नगर सैनिक न तो अपने परिवार से मिल पाते हैं और ना ही बच्चों की देखभाल कर पाते हैं. इनकी मांग है कि एक छात्रावास में कम से कम 2 महिला सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी लगाई जाए. ताकि ड्यूटी के साथ अपना परिवार भी संभाल सकें.

बढ़ाई जाए मातृत्व अवकाश की अवधि

शासन के अन्य विभागों में महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश के साथ 6 महीने का अवकाश प्रदान किया जाता है. जबकि महिला नगर सैनिकों को सिर्फ 3 महीने का मातृत्व आकाश दिया जाता है. इस अवधी को 6 महीने करने की मांग की गई है.

नहीं हो रहा भरण-पोषण

नगर सैनिकोंं ने ज्ञापन में अपनी समस्या को अवगत कराते हुए कहा है कि उन्हें साल भर में 6 महीने के लिए जिले से बाहर ड्यूटी करना पड़ता है. जिसमें 2 महीने कोरबा एसईसीएल सुरक्षा ड्यूटी, 2 महीने कुसमुंडा एसईसीएल, 1 महीने रायपुर प्रशासनिक ड्यूटी. साथ ही समय-समय पर सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिले से बाहर जाना पड़ता है. ऐसे में 12 हजार 900 के वेतन में स्वयं का और परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल है. नगर सैनिकों ने ऐसी ड्यूटी बंद करने और वेतन विसंगती को सही करने की मांग की है.

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