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सूरजपुर में अन्नदाताओं के सामने क्यों खड़ी हुई मुसीबत

सूरजपुर में एक बार फिर किसानों के सामने खाद की समस्या सामने आई (Fertilizer shortage in front of farmers in Surajpur) है.किसानों का आरोप है कि समिति के लोग व्यापारियों के साथ मिलकर खाद की कालाबाजारी करते हैं.

Fertilizer shortage in front of farmers in Surajpur
सूरजपुर में अन्नदाताओं के सामने क्यों खड़ी हुई मुसीबत

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Published : Jun 10, 2022, 3:19 PM IST

सूरजपुर : बरसात का मौसम शुरू होने वाला है और किसान अपनी खेती की तैयारियों में जुटे हैं. लेकिन जिले में खाद की किल्लत किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ (Fertilizer shortage in Surajpur) है. जिले के भैयाथान ब्लॉक (Bhaiyathan Block of Surajpur) में 20% किसानों को भी अभी तक खाद मुहैया नहीं हो पाई है. जिसे लेकर किसान चिंतित हैं . वही सहकारी समिति ऊपर से ही खाद ना मिलने की बात कह रहा है. जिले के भैयाथान ब्लॉक में 4 सहकारी समितियों को किसानों के लिए खाद मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई है. बावजूद इसके एक भी समिति में पर्याप्त मात्रा में खाद मौजूद नहीं हैं.

सूरजपुर में अन्नदाताओं के सामने क्यों खड़ी हुई मुसीबत

कितने किसान है रजिस्टर्ड :चारों समितियों में लगभग 6 हजार के लगभग किसान रजिस्टर्ड हैं. लेकिन अभी तक हजार किसानों को भी खाद मुहैया नहीं कराया जा सका है. जिसकी वजह से अभी से ही किसानों को खाद की ब्लैक मार्केटिंग का डर सताने लगा है. किसानों का आरोप है कि कुछ बड़े व्यापारी खाद और यूरिया का स्टाक करके रखते हैं. इसके बाद जरूरत पड़ने पर अनाप-शनाप कीमतों पर किसानों को बेचते हैं. जिसमें प्रबंधन के समितियों के लोग भी शामिल(Fertilizer shortage in Bhaiyathan Cooperative Society) हैं.

खाद नहीं मिलने पर क्या : खाद की किल्लत को लेकर किसानों में आक्रोश है. किसानों का कहना है कि जल्द ही खाद की आपूर्ति पूरी नहीं की जाती है तो किसान आंदोलन करेंगे. हम आपको बता दें खाद की किल्लत कोई नई बात नहीं है. इसके पहले भी जिले में खाद की किल्लत देखने को मिलती रही (Black marketing of fertilizers in Surajpur) है. यही वजह है कि लगातार किसान यह आरोप लगाते रहे हैं कि सहकारी प्रबंधन के कर्मचारी अधिकारी और क्षेत्र के कुछ बड़े व्यवसाई मिलकर खाद की कालाबाजारी करते हैं.

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क्यों होती है खाद की कालाबाजारी : कालाबाजारीकी एक वजह यह भी है कि खाद की सप्लाई जिले में सरकारी और प्राइवेट दोनों के लिए एक साथ आती है. लेकिन सरकारी संस्थानों में खाद की कमी हो जाती है. जबकि प्राइवेट संस्थानों में लगातार खाद की उपलब्धता बनी रहती है. यह बात खाद की कालाबाजारी के आरोपों को बल देता है. प्रदेश की भूपेश सरकार किसानों का सरकार होने का दावा करती है. ऐसे में जरूरत है कि राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखें कि जो खाद किसानों के लिए सरकार के द्वारा मुहैया कराया जाता है वह उन तक पहुंच पा रहा है या नहीं.

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