सूरजपुर: सूरजपुर जिले में अंधविश्वास और आस्था का वास्ता कोई नई बात नहीं है, जहां हर दस ग्राम पंचायत के बाद एक झाड़फूंक वाले बाबा आपको आसानी से नजर आ जाएगा. उस पर विश्वास करने वाले ग्रामिण भी. आज हम एक ऐसे बाबा के बारे में बताने जा रहे है जो सर्पदंश के मरीजों को झाड़फूंक से इलाज कर ठीक करने का दावा करता है. रोजाना उसके पास सर्पदंश के मरीजों की भीड़ भी लगी रहती है. प्रशासन ग्रामिणों में जागरुकता के लिए पहल करने के दावे बस दफ्तरों तक ही सीमित नजर आते हैं. जबकि जिले में प्रतिवर्ष सर्पदंश से 50 से ज्यादा लोग अपनी जान गवांते हैं.
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ढोंगी बाबाओं की कमी नहीं:ढोंगी बाबाओं की देश में कोई कमी नहीं है. लेकिन खतरनाक इलाज को झाड़फूंक से ठीक करने वाले बाबा तो सूरजपुर के ग्रामिण अंचलों में अपने पैर पसारे बैठे हैं. तस्वीरों में शराब की बोतल रखकर और थाली चीपकाकर करतब दिखा रहा. यह व्यक्ति कोई आम व्यक्ति नहीं है. दरअसल यह एक बाबा है जो सर्पदंश के मरीज का थाली चिपका कर इलाज कर रहा है.
ग्रामिण भी पूरी तरह से बाबा से आश्वस्त:बाबा का दावा है कि उसे आठ बार सांप ने काटा है लेकिन उसे कुछ नहीं होता. इसी तरह की बाते वो गांवों में फैला रखा है, जिससे दूर दराज के सर्पदंश के मरीज भी इस बाबा के चंगुल में फंस कर अपना इलाज कराने पहुंच जाते हैं. यह पुरा मामला विकासखंड भैयाथान के महज थोड़ी दूर स्थित तरका गांव का है. जहां इलाज कराने पहुंचने वाले ग्रामिण भी पूरी तरह से बाबा से आश्वस्त है.
3 साल में 150 के पार मौत:एक ओर सर्पदंश से होने वाले मौतों के आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे है तो दूसरी ओर केवल अपने नाम की पहचान के लिए झाड़फूंक बाबा ग्रामिणों की जान के साथ खेल रहे हैं. जहां स्थानीय लोगों का मानना है कि अस्पताल दूर होने और अव्यवस्थित होने के कारण ही इन बाबाओ की दुकान चल रही है. यदि आकड़ों की बात करें तो पिछले 3 सालों में जिले में 150 से ज्यादा लोगों ने सर्पदंश की वजह से अपनी जान गवा चुके हैं.
जल्द तैयार होगा स्नेक रेस्क्यू टीम:बावजूद इसके सूरजपुर में एक भी स्नेक रेस्क्यू टीम नहीं है. मीडिया द्वारा सवाल खड़े किए जाने के बाद अब जिले के डीएफओ स्नेक रेस्क्यू टीम बनाने की बात कर रहे हैं. जिला चिकित्सा अधिकारी का दावा है कि उन्होंने सर्पदंश से निपटने के लिए सभी छोटे बड़े अस्पतालों में एंटी स्नेक वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता करा दी गई है. साथ ही वे लगातार सर्पदंश से बढ़ते मौत के आंकड़ों की वजह ग्रामीणों के अंधविश्वास को मानते हैं.