सुकमा : 2006 में जिले से तेलंगाना पलायन कर चुके सैकड़ों परिवारों की सकुशल वापसी के लिए आदिवासियों द्वारा पेन पंडुम मनाया गया, जिसमें 350 आदिवासियों ने शामिल होकर अपने ग्राम देवताओं का आह्वान किया.
आदिवासियों ने मनाया पेन पंडुम पूजा के कार्यक्रम में आदिवासियों को बस्तर वापस लाने वाले समाजसेवी शुभ्रांशु चौधरी और जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में बस्तर के 644 देवी-देवताओं का आह्वान कर उनसे पलायन कर चुके परिवारों ने माफी मांगी और 97 वनाधिकार पट्टे का फॉर्म भी भरा.
आदिवासियों की सकुशल वापसी के लिए आयोजन
दरअसल, बीते 25 अप्रैल को 13 साल बाद तेलंगाना के कन्नापुरम से 15 परिवार लौटे हैं. वहीं अपनी बेहतरी की तलाश में दो राज्यों की मझधार में फंसे बस्तर के 644 गांव के 5000 परिवार को बस्तर लाने के कोशिश में आदिवासी मान्यता को देखते हुए पेन पंडुम का आयोजन किया गया.
'देवताओं की मर्जी के बिना न आते हैं और न बाहर जाते हैं'
पेन पुंडम की शुरुआत बुधवार शाम हुई ये कार्यक्रम 2 दिवसीय रहा, जिसमे 4 राज्यों के विस्थापित ग्रामीण शामिल हुए और अपने ग्राम देवताओं को आह्वान करते हुए मनाया. आदिवासी धर्म गुरुओं की माने को आदिवासियों का एक नियम है वो बिना ग्राम देवता को पूजे न बाहर जा सकते हैं और न आ सकते हैं 2006 में चल रहे नरसंहार में इतना वक्त ही नहीं मिला, जिसके चलते आदिवासी ग्राम देवताओं की मर्जी के बगैर को बाहर चले गए और 15 सालों से सेवा नहीं की'. उनकी माने तो ऐसा करने से उनका बुरा होता है.
'चारों राज्यों की सरकारों को गंभीरता दिखाने की जरूरत'
सामाजिक कार्यकर्ता शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि, विस्थापन केवल बस्तर का विषय नहीं रह गया, बल्कि तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश व ओडिशा 4 राज्यों का प्रमुख विषय बन चुका है. इसको लेकर 4 राज्यों की सरकारों को गंभीरता दिखाते हुए काम करने की आवश्यकता है'.
4 राज्यों की ले सकते हैं बैठक
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसको लेकर केंद्रीय ट्राइबल कमिश्नर नंद कुमार साय जल्द ही तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा राज्यों की बैठक लेंगे. उन्होंने इन राज्यों को पत्र लिखकर विस्थापित परिवारों की आंकड़ा मांगा था.
कलेक्टर ने दिया था आंकड़ा
केंद्र ये आंकड़ा कलेक्ट कर रहा है, लेकिन पिछले 15 सालों से काम नहीं हो पाया है. जानकारी के मुताबिक 2006 में दंतेवाड़ा कलेक्टर के आर पिस्दा ने राज्य सरकार को पूरे बस्तर से 644 गांवों के परिवारों के विस्थापित होने की जानकारी दी थी.