वहीं ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन बनाये गए शौचालय के हालात ऐसे हैं कि वहां जाना तो दूर कोई उसकी तरफ देखता भी नहीं है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिलें में सौकड़ों शौचालय बनाये गए हैं, लेकिन किसी का छत नहीं है तो किसी शौचालय की दीवारें गायब है. किसी शौचालय में सीट नहीं है तो कहीं सिर्फ गड्ढे खोद कर छोड़ दिए गए हैं, लेकिन कागजों पर ये सभी शौचालय चालू है और लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
सूरजपुर: गांव के कई घर में नहीं है शौचालय, लेकिन ओडिएफ के लिए सम्मानित हो चुका है जिला
सूरजपुर: 'जहां सोच वहां शौचालय' इसी नारे के साथ सरकार ने देश को स्वच्छ बनाने का सपना देखा था. लेकिन सुरजपुर की स्थिति को देख आप भी सोच में पड़ जाएंगे कि, उस जिले को उपराष्ट्रपति ओडीएफ के लिए कैसे सम्मानित कर सकते हैं, जहां के सैकड़ों घरों में आज तक शौचालय ही नहीं है.
जर्जर शौचालय
लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कहा था कि वे महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर देश को स्वच्छ देखना चाहते हैं. इसके लिए अरबों रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन प्रधानमंत्री के स्वच्छ देश के सपनों को उनके ही अधिकारी पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.