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किसान सुसाइड केस: पत्नी ने शासन प्रशासन से मुआवजे के रूप में मांगे एक करोड़ रूपये

राजनांदगांव में किसान सुसाइड केस (Rajnandgaon Farmer Suicide Case) पर राजनीति तेज हो गई है. बीजेपी, किसान की आत्महत्या (Farmer Suicide Case) के लिए शासन और प्रशासन को जिम्मेवार मान रही है. वहीं मृतक किसान की पत्नी ने मुआवजे के रूप में प्रशासन से एक करोड़ रूपये की राशि मांगी (One Crore Rupees Demand) है.

farmer suicide case rajnandgaon
राजनांदगांव किसान सुसाइड केस

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Published : Dec 25, 2021, 4:58 PM IST

राजनांदगांव: केरेगांव में किसान की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी किसान की आत्महत्या (Rajnandgaon Farmer Suicide Case) के लिए शासन और प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रही है. अब इस संबंध में भाजपा जिलााध्यक्ष ने किसान की पत्नी के साथ राजनांदगांव में प्रेस वार्ता की. इस दौरान बीजेपी ने किसान सुसाइड केस में प्रशासनिक अधिकारी समेत स्थानीय विधायक पर आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि विधायक, तहसीलदार और पटवारी समेत तमाम अधिकारी मृतक किसान की पत्नी पर दबाव बना रहे हैं और यह बुलवाने के लिए मजबूर कर रहे हैं कि किसान ने रकबे में कटौती की वजह से खुदकुशी नहीं की है.

फांसी लगाकर किसान ने कर ली थी आत्महत्या

मामला बीते 15 दिसंबर का है. छुरिया ब्लॉक के ग्राम केरेगांव के रहने वाले किसान सुरेश नेताम ने अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. परिजनों और ग्राम निवासियों का कहना था कि किसान सुरेश कुमार नेताम ने रकबे में कटौती से परेशान होकर खुदकुशी की थी. मृतक किसान धान की मिंजाई के बाद सोसायटी में टोकन के लिए पहुंचा था. जहां उसे रकबा महज डेढ़ एकड़ का बताया तो वो निराश होकर घर लौट आया. इसके बाद करीब तीन-चार दिनों तक वो परेशान रहा.

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रकबे को लेकर परेशान था किसान

मृतक सुरेश की पत्नी गेंद कुंवर नेताम ने बताया कि गांव में उनका तीन एकड़ 80 डिसमिल खेत है. जिसमें से 3 एकड़ 25 डिसमिल धनहा है. इसके बावजूद इसमें डेढ़ एकड़ ही रकबा में लिया गया है. जिससे उनके पति परेशान थे. दो-तीन बार वो पटवारी से मिले. लेकिन रकबा में किसी तरह की कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई. धान बोनी व अन्य का किसान पर कर्ज भी था. इसी परेशानी को लेकर किसान सुरेश नेताम ने अपने घर में ही फांसी लगाकर खुदकुशी (Rajnandgaon Farmer Suicide Case) की ली. मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने इसकी जांच की. जिसमें पाया गया कि रकबे को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी. प्रशासन ने पुलिस को भी जांच के निर्देश दिए हैं.

परेशान थे मेरे पति: पत्नी

तहसीलदार और पटवारी भी जांच के लिए मृतक सुरेश के घर आए थे. सुरेश की पत्नी गेंद कुंवर नेताम का बयान भी लिया गया. जिसमें किसान की पत्नी गेंद कुंवर नेताम ने कहा कि धान पंजीयन कराकर जब उनके पति वापस लौटे तो वह परेशान थे. जब उनसे कारण पूछा तो रकबे में कटौती की उन्होंने मुझे बताई. जिसको लेकर वो तीन-चार दिनों तक परेशान रहे, पटवारी कार्यालय भी गए.

पंजीयन रिकॉर्ड में छेड़छाड़: बीजेपी

पत्नी गेंद कुंवर नेताम ने बताया कि धान बिक्री के लिए केवल डेढ़ एकड़ का ही रकबा दिया गया था. जबकि उनके पास तीन एकड़ 80 डिसमिल की खेती है. किसान की पत्नी और भाजपा का आरोप है कि उनके पति की मौत के बाद 17 दिसंबर को पंजीयन रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की गई और रकबा बढ़ाकर 2 एकड़ 30 डिसमिल कर दिया गया.

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1 करोड़ रूपये सहायता राशि की मांग

पीड़ित महिला का आरोप (Wife Accuses Governance and Administration) है कि जमीन को फर्जी बताकर धान के रकबे को कम किया गया. वह हमारे परिवार की जमीन का छोटा सा हिस्सा है. पीड़ित का आरोप है कि प्रशासन हम लोगों को गुमराह कर रहा है. उन्होंने बताया कि मेरी तीन बेटियां हैं और मेरे पति की मौत के बाद जीवन यापन का कोई दूसरा साधन नहीं है. इसलिए मेरे पति की मृत्यु पर एक करोड़ रुपए आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाए.

मामले ने पकड़ा राजनीति तूल

किसान की आत्महत्या मामले में अब राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है. भाजपा लगातार शासन प्रशासन और सरकार को घेर रही है. राजनांदगांव में मृतक किसान की पत्नी ने बीजेपी जिला अध्यक्ष के साथ प्रेस वार्ता की. इस दौरान पीड़िता ने प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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