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SPECIAL: लॉकडाउन में लॉक हुए स्कूल, किताबों का धंधा हुआ मंदा

स्कूल-कॉलेजों के बंद होने से जहां एक ओर छात्रों को नुकसान हुआ है, तो वहीं बुक डिपो संचालक भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में ये बुक डिपो संचालक सरकार से राहत की गुहार लगा रहे हैं. लॉकडाउन में मिली छूट के बाद भी बुक डिपो संचालकों को मंदी से गुजरना पड़ रहा है.

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किताबें

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Published : Jul 27, 2020, 1:14 PM IST

राजनांदगांव: कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. लॉकडाउन की वजह से देश के हर सेक्टर को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा है. स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. इससे जहां छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, तो वहीं शिक्षा से जुड़े सेक्टर्स गंभीर आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. खासतौर पर स्टेशनरी का कारोबार ठप सा पड़ गया है. जून-जुलाई के महीने में स्टेशनरी दुकानों में जहां छात्रों की लंबी लाइन नजर आती थी, वहीं अब इन दुकानों में या को ताला जड़ा हुआ है या फिर सन्नाटा है.

लॉकडाउन में बुक डिपो का व्यापार हुआ ठप

पढ़ें-SPECIAL: राखी व्यापारियों पर कोरोना की मार, टोटल लॉकडाउन से सूना पड़ा बाजार

लॉकडाउन में बुक डिपो संचालकों को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. सभी स्कूल-कॉलेजों में ऑनलाइन क्लॉसेस शुरू हो गई है. इस वजह से किताबों की मांग कम हो गई है. बच्चों के पालक अब कॉपियां खरीदने के लिए भी दुकान नहीं जा रहे हैं. कुछ बच्चे पिछले सत्र के नोटबुक का उपयोग कर रहे हैं. बुक डिपो संचालकों ने जनवरी में ही आने वाले सत्र की किताबों के ऑर्डर दे दिए थे, इसके लिए उन्होंने एडवांस राशि भी जमा कर दी थी. अब स्कूल नहीं खुलने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

बुक डिपो में बैग

नहीं पहुंच रहे ग्राहक

लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद तकरीबन हर व्यापार पटरी पर लौट आया है, लेकिन बुक और स्टेशनरी शॉप का व्यापार अब तक शुरू नहीं हो पाया है. स्कूल खुलने का निर्देश अब तक नहीं आया है, ऐसे में एडवांस में माल लेकर बुक डिपो के व्यापारी पूरी तरह से फंस चुके हैं. व्यापारियों का कहना है कि नए शिक्षा सत्र के लिए उन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली थी. हर साल की तरह जनवरी-फरवरी में स्कूलों की सभी कक्षाओं की पुस्तकों का पूरा स्टॉक मंगाकर रख लिया गया था, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन होने की वजह से स्टॉक भी धरा का धरा रह गया है. लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद भी ऑनलाइन क्लासेज़ चलने की वजह से बुक शॉप्स का व्यापार पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है.

किताब दुकान
पूरे सीजन का नुकसान

बुक डिपो के संचालकों ने बताया कि स्टेशनरी का कारोबार साल के 3 महीने के सीजन पर डिपेंड करता है. शिक्षा सत्र के शुरुआत में किताब-कॉपियों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है. यह बिक्री पूरे सालभर के लिए एक साथ होती है. इस वजह से साल भर में सिर्फ फरवरी से जून के महीने में बुक डिपो का व्यापार सबसे ज्यादा होता है. कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च से ही स्कूल बंद कर दिए गए. इस कारण इस सीजन का पूरा व्यापार लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया है.

बुक डिपो

80 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित

बुक डिपो और स्टेशनरी से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि पूरे जिले में तकरीबन 300 प्राइवेट स्कूल हैं, इनमें प्राइमरी से लेकर के हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई होती है. इसके अलावा सरकारी स्कूलों की बात करें तो कुल 2 हजार 300 स्कूल हैं. इन स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों को बुक डिपो के माध्यम से किताब-कॉपियों सहित अन्य स्टेशनरी सामान की सप्लाई होती है. कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र भी बुक, कॉपी सहित स्टेशनरी सामानों की खरीदारी बुक डिपो से करते हैं. इस साल पूरे राजनांदगांव जिले में तकरीबन 70 से 80 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है.

प्रतियोगी परीक्षाओं पर भी रोक

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. इनमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं और प्रवेश परीक्षाएं भी शामिल हैं. बुक डिपो संचालक प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी स्टडी मटेरियल पहले से ही मंगवाकर रखते हैं, जो केवल एक साल के लिए ही काम में आती है. परीक्षाएं स्थगित होने की वजह से जो थोड़ी बहुत आमदनी होती थी, उसका भी रास्ता बंद हो गया है.

स्टाफ को नहीं दे पा रहे वेतन

व्यापारियों के मुताबिक जब से लॉकडाउन किया गया है, तब से लेकर अब तक कोई कमाई नहीं हो रही है. दुकानों में काम करने वाले स्टाफ को भी वेतन देना पड़ रहा है. कई दुकानों में काम कर रहे स्टाफ को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है. इस स्थिति में उनके सामने अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. कई बुक डिपो संचालकों ने जनवरी में नए स्टॉक के लिए कर्ज लिया हुआ था, जिसकी भरपाई भी अब नामुमकिन लग रही है. इसके अलावा दुकान का किराया, बिजली का बिल भी उन्हें भरना पड़ रहा है. इस स्थिति में उनके सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है.

अब तक सेलिंग जीरो

बुक डिपो और स्टेशनरी का व्यापार शून्य है. अब तक जीरो सेलिंग हुई है. संचालकों का कहना है कि जब तक स्कूल-कॉलेज नहीं खुलेंगे, तब तक बुक डिपो और स्टेशनरी का व्यापार मंदा ही चलेगा. ऑनलाइन क्लास शुरू होने के बाद कुछ स्टूडेंट्स आ रहे हैं, लेकिन उनका प्रतिशत केवल 2 से 3 ही है. वहीं स्टेशनरी सामानों की बिक्री ठप है. दुकानदारों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले उनका व्यापार 75% प्रभावित हुआ है. संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन में जिस तरीके से अन्य व्यापारियों को छूट दी गई है, वैसे ही स्कूल-कॉलेजों को शुरू करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए, ताकि छात्रों का सत्र बर्बाद न हो और उनके व्यापार को भी बड़े नुकसान से बचाया जा सके. बुक डिपो के संचालकों का कहना है कि सरकार को 2 से 3 महीने के भीतर यह फैसला ले लेना चाहिए, ताकि आने वाले समय में व्यापारियों की स्थिति खराब न हो.

अभिभावकों की राय

जहां एक तरफ बुक डिपो संचालक सरकार से स्कूल खोले जाने को लेकर विचार करने की बात कह रहे हैं, वही पालकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में सरकार अगर स्कूल खोलती है तो बच्चों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. पालकों का कहना है कि बुक डिपो संचालकों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार उन्हें राहत दे.

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