राजनांदगांव: कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. लॉकडाउन की वजह से देश के हर सेक्टर को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा है. स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. इससे जहां छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, तो वहीं शिक्षा से जुड़े सेक्टर्स गंभीर आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. खासतौर पर स्टेशनरी का कारोबार ठप सा पड़ गया है. जून-जुलाई के महीने में स्टेशनरी दुकानों में जहां छात्रों की लंबी लाइन नजर आती थी, वहीं अब इन दुकानों में या को ताला जड़ा हुआ है या फिर सन्नाटा है.
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लॉकडाउन में बुक डिपो संचालकों को अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. सभी स्कूल-कॉलेजों में ऑनलाइन क्लॉसेस शुरू हो गई है. इस वजह से किताबों की मांग कम हो गई है. बच्चों के पालक अब कॉपियां खरीदने के लिए भी दुकान नहीं जा रहे हैं. कुछ बच्चे पिछले सत्र के नोटबुक का उपयोग कर रहे हैं. बुक डिपो संचालकों ने जनवरी में ही आने वाले सत्र की किताबों के ऑर्डर दे दिए थे, इसके लिए उन्होंने एडवांस राशि भी जमा कर दी थी. अब स्कूल नहीं खुलने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
नहीं पहुंच रहे ग्राहक
लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद तकरीबन हर व्यापार पटरी पर लौट आया है, लेकिन बुक और स्टेशनरी शॉप का व्यापार अब तक शुरू नहीं हो पाया है. स्कूल खुलने का निर्देश अब तक नहीं आया है, ऐसे में एडवांस में माल लेकर बुक डिपो के व्यापारी पूरी तरह से फंस चुके हैं. व्यापारियों का कहना है कि नए शिक्षा सत्र के लिए उन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली थी. हर साल की तरह जनवरी-फरवरी में स्कूलों की सभी कक्षाओं की पुस्तकों का पूरा स्टॉक मंगाकर रख लिया गया था, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन होने की वजह से स्टॉक भी धरा का धरा रह गया है. लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद भी ऑनलाइन क्लासेज़ चलने की वजह से बुक शॉप्स का व्यापार पूरी तरीके से ठप पड़ा हुआ है.
बुक डिपो के संचालकों ने बताया कि स्टेशनरी का कारोबार साल के 3 महीने के सीजन पर डिपेंड करता है. शिक्षा सत्र के शुरुआत में किताब-कॉपियों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है. यह बिक्री पूरे सालभर के लिए एक साथ होती है. इस वजह से साल भर में सिर्फ फरवरी से जून के महीने में बुक डिपो का व्यापार सबसे ज्यादा होता है. कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च से ही स्कूल बंद कर दिए गए. इस कारण इस सीजन का पूरा व्यापार लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया है.
80 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित
बुक डिपो और स्टेशनरी से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि पूरे जिले में तकरीबन 300 प्राइवेट स्कूल हैं, इनमें प्राइमरी से लेकर के हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई होती है. इसके अलावा सरकारी स्कूलों की बात करें तो कुल 2 हजार 300 स्कूल हैं. इन स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों को बुक डिपो के माध्यम से किताब-कॉपियों सहित अन्य स्टेशनरी सामान की सप्लाई होती है. कॉलेजों में अध्ययनरत छात्र भी बुक, कॉपी सहित स्टेशनरी सामानों की खरीदारी बुक डिपो से करते हैं. इस साल पूरे राजनांदगांव जिले में तकरीबन 70 से 80 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है.