राजनांदगांव: आज मजदूर दिवस है. आज उन लोगों का दिन जिन्होंने मुल्क में तरक्की की बुनियाद रखने के साथ-साथ अधोसंरचना के गुंबद को आकार दिया. भरी दोपहरी हो या कड़कड़ती ठंड या फिर मूसलाधार बारिश मजदूर इसकी परवाह किए बिना दिन-रात देह पीटता है. पसीना बहाता है लेकिन इसके बदले में वो दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल ही जुटा पाता है.
सरकारी दावों की हकीकत
कहने को सरकारों ने इन कामगारों को लिए न जाने कितनी योजनाएं चला रखी हैं. सिस्टम का दावा है कि इन स्कीमों ने मशीन रूपी इन मानवों की जिंदगी में खुशहाली लाई है. सरकारी दावों की हकीकत क्या है, हमने ये जानने की कोशिश की.
कितनी योजनाएं हैं संचालित
ईटीवी भारत की पड़ताल में जो आंकड़े सामने आए वो चौंकाने वाले थे. श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों के लिए तकरीबन 29 योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से 13 योजनाएं चलाई जा रही हैं. मजदूरों के लिए राज्य और केंद्र सरकार की मिलाकर कुल तीन दर्जन से ज्यादा योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि जिनके लिए योजनाएं चल रही हैं वो ही इससे अनजान हैं.
कागजों में सीमित योजनाएं !
मिली जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव जिले में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के तहत 87764 पंजीकृत मजदूर है. वहीं 201375 छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के तहत पंजीकृत मजदूर हैं. इन मजदूरों को कुल 42 योजनाओं के तहत अलग अलग तरीके से इनके जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह योजनाएं केवल कागजों में ही सीमित हैं. मजदूरों तक न तो योजना की जानकारी पहुंच पा रही है और न ही उससे मिलने वाले फायदे.
ऐसा है श्रम विभाग का दावा
श्रम विभाग की मानें तो जिले के मजदूरों को अब तक ई-रिक्शा के 93 प्रकरण स्वीकृत किए जा चुके हैं इनमें 31 ई रिक्शा महिलाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं, वहीं 503 विधवा परित्यक्ता, तलाकशुदा और एकल महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए 15 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.
इतने हैं पंजीकृत मजदूर
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत पंजीकृत एक लाख 38 हजार 353 श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं अंतर्गत 58 करोड़ की राशि दी गई है असंगठित कर्मकार राज्य सुरक्षा मंडल में 15 हजार 140 पंजीकृत श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पांच करोड़ 65 लाख की राशि दी गई है.
बेहाल हैं मजदूर
एक ओर जहां सरकारें अलग-अलग योजनाओं के जरिए मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के दावे कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन कामगारों को योजनाओं तक की जानकारी नहीं ऐसे में आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं प्रदेश के कामगार किन हालात में जिंदगी गुजार रहे हैं.