राजनांदगांव:आज पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन का त्योहार श्रावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसलिए इसे कई जगह राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. देशभर के भाइयों के हाथों पर इस बार संस्कारधानी की इको-फ्रेंडली राखी सजेगी. इस बार पर्यावरण को देखते हुए भाईयों की कलाइयों पर इको-फ्रेंडली राखियों की डिमांड है. इसे देखते हुए जिले के लिटिया ग्राम पंचायत की महिलाओं और बच्चों ने इको-फ्रेंडली राखी तैयार की है. जो गोबर और मिट्टी से बनी है.
देश के अलग-अलग राज्यों को डिमांड के हिसाब से मिट्टी और गोबर से बनी राखियां तैयार कर सप्लाई की गई है. लिटिया ग्राम पंचायत की महिलाओं और बच्चों ने गोधन को बचाने और स्वदेशी राखियां तैयार करने का संकल्प लिया था. संकल्प को पूरा करते हुए महिलाओं और बच्चों ने मिट्टी और गोबर से लाखों राखियां तैयार की है. इन राखियों को आकर्षक बनाने के लिए इनमें पेंटिंग से लेकर के पैकिंग पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके कारण ये राखियां देखने में बहुत सुंदर है. महिलाओं और बच्चों ने खुद अपने हाथों से गोबर और मिट्टी के मिश्रण से इको-फ्रेंडली राखी तैयार की है.
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गांव में ही मिला रोजगार
राखियां तैयार करने वाले लोगों ने बताया, सबसे पहले गांव के गोबर को इकट्ठा कर वह मिट्टी के साथ पंचगव्य मिलाकर इसे तैयार करते हैं. जिसके बाद एक सांचे में राखी के लिए मिट्टी का मटेरियल डालते हैं और फिर इसे आकर्षक बनाने के लिए कलर किया जाता है. वहीं ये राखी पूरी तरीके से इको फ्रेंडली होती हैं रक्षाबंधन के बाद इन राखियों को कोई भी आसानी से धागा अलग कर किसी भी गमले में डाल दे तो वह पौधे के लिए भी एक खाद का काम करेगा. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि गांव के लोगों को इससे अच्छा खासा रोजगार मिल रहा है और गांव के गोधन को बचाने के लिए भी इसके जरिए पहल की जा रही है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में खुले बाजार में यह राखियां उपलब्ध कराई गई हैं, जहां से उन्हें अच्छा रिस्पांस मिला है और लोगों को राखियां पसंद आ रही है इसके जरिए उन्हें बेहतर आय भी हो रही है.