खैरागढ़/राजनांदगांव : क्वॉरेंटाइन सेंटर में व्यवस्थाओं को लेकर लगातार कई खबरें सामने आ रही हैं, कि सेंटर में रह रहे लोगों को उचित व्यवस्था नहीं दी जा रही है. वहीं जरूरी सुविधाएं ताे दूर, भाेजन तक नहीं दिया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला आरला से लगे मोखला के क्वॉरेंटाइन सेंटर में सामने आया. जहां लोगों को भाेजन तक नहीं दिया जा रहा है. इस कारण सेंटर में क्वॉरेंटाइन की किए गए श्रमिकाें काे अपने घराें से खाना मंगवाना पड़ रहा है. इससे काेराेना का संक्रमण गांव में फैलने की आशंका बनी हुई है.
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मोखला के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे श्रमिकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सेंटर में उन्हें खाना नहीं मिल रहा जिस कारण वे घर से खाना मंगाने को मजबूर हैं.
ग्राम पंचायत मोखला में शासकीय प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शाला भवन में क्वॉरेंटाइन सेंट बनाया गया है, जहां श्रमिकाें काे रखा गया है. वहां रह रहे लोगों ने बताया कि चावल और अन्य दैनिक उपयोग की चीजें वे घर से लाकर उपयोग कर रहे हैं. पंचायत की तरफ से उन्हें किसी भी तरह का जरूरी समान नहीं दिया गया है, जबकि पिछले दो महीने से उनकी आर्थिक हालात वैसे ही खराब है. रास्ते में उन्हें वाहन किराए के रूप में 8 से 10 हजार रूपये लिए गए.
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'बूढ़ी मां पहुंचाती है खाना'
क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे श्रमिक रामस्वरूप साहू ने बताया कि वे मुंबई से 16 मई को ग्राम मोखला पहुंचे हैं. साथ में उनकी पत्नी धनेश्चरी साहू भी है. पंचायत वाले भाेजन नहीं दे रहे हैं. उनके घर पर भी खाना पकाने वाला काेई नहीं है. किसी तरह उनकी बूढ़ी मां घर से खाना पकाकर क्वॉरेंटाइन सेंटर तक पहुंचा रही हैं. साथ ही जरूरत के अन्य सामान भी घर से मंगवाने पड़ रहे हैं.
'परेशानी और बढ़ गई है'
वे बताते हैं कि लगभग आठ साल से वे मुंबई में राजमिस्त्री का काम कर रहे थे, वहां उन्हें रोजी के 600 रुपए दिए जाते थे. रेजा कार्य करने वाले को 300 रुपए रोजी दी जाती हैं. आठ महीने पहले वे मुंबई गए थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से उन्हें वापस आना पड़ा. एक तो हालात पहले से ही खराब थे, ऊपर से 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहने की मजबूरी है. इधर पंचायत सचिव अनवर बंजारे का कहना है कि चावल, दाल, तेल और अन्य सूखा सामान श्रमिकाें काे सोमवार से देना शुरू किया गया है. इसके अलावा सभी काे जरूरी सुविधाएं भी ग्राम पंचायत की ओर से मुहैया कराई जा रही है.