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कोरोना इफेक्टः नवरात्र में बंद रहेगा राजनांदगांव का मां पाताल भैरवी सिद्ध पीठ - राजनांदगांव में लॉकडाउन

राजनांदगांव में बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगा है. लॉकडाउन के कारण जिला पूरी तरह लॉक हो गया है. लॉकडाउन के कारण पिछले साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्र पर भक्त माता के दर्शन नहीं कर सकेंगे. कोरोना के कारण सार्वजनिक भंडारा, प्रसाद वितरण और कन्या भोजन पर भी प्रतिबंध है.

Maa Patala Bhairavi Siddha Peeth
मां पाताल भैरवी सिद्ध पीठ

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Published : Apr 13, 2021, 4:19 PM IST

राजनांदगांव:कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इस साल भी माता का दरबार भक्तों के लिए बंद रहेगा. जिले का मां पाताल भैरवी सिद्ध पीठ में भी भक्त नवरात्र में माता के दर्शन नहीं कर पाएंगे. कोरोना के बढ़ते प्रकोप की भयावह स्थिति को देखते मंदिर समिति ने भक्तों के दर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही सार्वजनिक भंडारा, प्रसाद वितरण और कन्या भोजन पर रोक है.

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पुजारी और संस्था के सदस्य करेंगे पूजा

अंचल की सेवाभावी संस्था बर्फानी सेवाश्रम समिति ने 13 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र और हिंदू नववर्ष को सादगी से मनाने का फैसला लिया है. संस्था ने श्रद्धालुओं के सिद्धपीठ में प्रवेश पर रोक के साथ सभी से कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक घरों में ही पूजा करने की अपील की है. संस्था के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा गन्नू ने बताया कि देशभर में प्रसिद्ध गर्भगृह में विराजमान मां पाताल भैरवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी दशमहाविद्या द्वादश ज्योतिर्लिंग शिवशक्ति सिद्धपीठ में हिंदू नववर्ष मंगलवार से शुरू हो रहा है. कोरोना और लॉकडाउन को देखते हुए नवरात्र पर मां और देवी देवताओं की पूजा-पाठ, पंडित-पुजारी और संस्था के सदस्य करेंगे. आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रहेगा. चैत्र नवरात्र एकम 13 अप्रैल से अभिजीत मुहूर्त 11:36 से 12:34 के मध्य गौरी-गणेश पूजन, घट स्थापना, ज्योतिकलश प्रज्जवलन, महाआरती की गई.

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मंदिर में 1151 ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित
मंदिर में लगभग 1151 ज्योतिकलश पुजारी और बैगा प्रज्जवलित करेंगे. नवरात्र की पंचमी 17 अप्रैल को माता सहित सभी देवी देवताओं का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. 20 अप्रैल को महाष्टमी हवन, 21 अप्रैल को ज्योति कलश विसर्जन प्रशासन की गाइडलाइन के तहत संस्था के सदस्य और पुजारी करेंगे. संस्था इस बार नवरात्र के अवसर पर होने वाला सार्वजनिक भंडारा-प्रसाद वितरण और कन्या भोजन भी नहीं कराने का निर्णय लिया है.

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