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राजनांदगांव: आजादी के 73 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण आदिवासी

राजनांदगांव जिले के किड़काड़ीटोला गांव में आजादी के 73 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. गांव में सड़क, पुल, बिजली सहित कई तरह की कमी है. गांव के लोग इन समस्याओं के साथ कई साल तक संघर्ष कर रहे हैं. ग्रामीणों प्रशासन से समस्याओं के निराकरण करने की मांग कर रहे हैं.

Tribal areas of Dongargaon
किड़काड़ीटोला गांव

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Published : Oct 9, 2020, 7:29 PM IST

राजनांदगांव: डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय छुरिया से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम गेरूघाट का आदिवासी बाहुल्य टोला किड़काड़ीटोला आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. देश की आजादी के 73 सालों के बाद भी मूलभूत सुविधाएं गांव से कोसों दूर हैं. ग्राम गेरूघाट और ग्राम झाड़ीखैरी के पगडंडी मार्ग के बीच बसे आदिवासी बाहुल्य टोला किड़काड़ीटोला के कुल 26 घरों में 22 गोंड़ आदिवासी परिवार, 3 यादव अन्य पिछड़ावर्ग परिवार और 1 महार अनुसूचित जाति परिवार के लोग निवास करते हैं.

कंधों पर लाद कर गाड़ी पार करते ग्रामीण

गेरूघाट ग्राम पंचायत में मात्र 1 वार्ड और लगभग ढाई सौ की आबादी है. महज ढाई सौ की आबादी वाला यह गांव आज भी विकास की आस में बैठे हुए हैं. किड़काड़ीटोला में समस्याओं का अंबार है. स्थिति ऐसी है कि गांव में सड़क, पुल, बिजली सहित कई तरह की कमी है. इन अभावों की वजह से शिक्षा सहित कई क्षेत्रों पर असर पड़ता है.

सड़क मार्ग का अभाव

आदिवासी किसान और फूटकर सब्जी व्यासायी रहिपाल कोमरे ने कहा कि शासन की मूलभूत सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग पहला साधन होता है, लेकिन हम सड़क सुविधा से पूरी तरह से वंचित हैं. उन्होंने बताया कि मुख्य ग्राम गेरूघाट से 2 किलोमीटर कच्चे सड़क मार्ग निर्माण किया गया है, जो कि नाला के आते-आते समाप्त हो जाता है. गिट्टी सड़क मार्ग भी मुरमीकरण के अभाव में पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. बीच-बीच में खतरनाक गड्ढे हो गए हैं, जिस पर चलना बहुत कठिन है. नाला के बाद 1 किलोमीटर तो पगडंडी के सहारे ही गांव तक का सफर करना पड़ता है. किड़काड़ीटोला, गेरूघाट और झाड़ीखैरी के बीच स्थित है. यहां आने-जाने के लिए न तो गेरूघाट के तरफ से, न ही झाड़ीखैरी तरफ से सड़क मार्ग की सुविधा है. गर्मी के दिनों में जैसे-तैसे आवागमन हो जाता है, लेकिन बरसात के दिनों में कीचड़ से लथपथ इस मार्ग से पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. गेरूघाट और झाड़ीखैरी से किड़काड़ीटोला के लिए सड़क मार्ग निर्माण की अति आवश्यकता है.

पुल विहीन नाला विकास में बना रोड़ा

किड़काड़ीटोला के एकलौता वार्ड पंच भुवन लाल मंडावी के मुताबिक गेरूघाट से किड़काड़ीटोला के बीच में नाला पड़ता है, जिसपर पुल का निर्माण नहीं होने से किड़काड़ीटोला मुख्य ग्राम गेरूघाट से पूरी तरह से कटा हुआ है. बरसात के दिनों में चार महीने तक नाले में पानी भरे रहने से आवागमन पूरी तरह से बाधित रहता है. इस मार्ग से आवागमन करने वाले राहगीरों के सायकिल और मोटरसाइकिल को उठाकर नाला पार करना पड़ता है. सायकिल को तो राहगीर आसानी से कंधों पर उठाकर नाला पार कर लेता है, लेकिन मोटरसाइकिल को नाला पार कराने के लिए चार-पांच लोगों की जरूरत पड़ती है. जो कि नाला के पास हमेशा मौजूद नहीं रहते. स्कूली बच्चों को प्राथमिक से हाईस्कूल तक के शिक्षा के लिए इसी नाला मार्ग से गेरूघाट जाना पड़ता है, लेकिन बरसात के दिनों में स्कूल जाना बंद करना पड़ता है. गेरूघाट मुख्य ग्राम के साथ पंचायत मुख्यालय भी है. लोगों को राशन सहित पंचायत संबंधित कार्यों से गेरूघाट जाने के लिए झाड़ीखैरी, नांदियाखुर्द और आमगांव के सड़क मार्ग से जाना पड़ता है, जो 9 किलोमीटर वनमार्ग है. इस तरह से गेरूघाट नाला पर पुल नहीं बनने से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी को 9 किलोमीटर चलकर पूरा करना पड़ता है.

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बच्चों के लिए नहीं है आंगनबाड़ी केन्द्र

गांव के लोक कलाकार बेदराम मंडावी के अनुसार शिक्षा व्यवस्था के नाम पर यह आदिवासी बाहुल्य वनांचल किड़काड़ीटोला के लोग बदनसीबी है. शिक्षा सुविधा के नाम पर प्राथमिक-माध्यमिक शाला की बात तो दूर यहां के नौनिहाल आंगनबाड़ी केन्द्र के दरवाजा भी नहीं देख पाते. यहां के नौनिहाल आंगनबाड़ी केन्द्र की शिक्षा लिए बिना सीधा प्राथमिक शाला में प्रवेश लेते है. इस कारण बच्चों की शैक्षणिक स्तर कमजोर रहता है. आंगनबाड़ी केन्द्र के अभाव में यहां के बच्चों, लड़कियों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार से वंचित होना पड़ता है.

गांव में कई चीजों की कमी

सड़कों पर रहता है अंधेरा

वरिष्ठ नागरिक सुकचरण नेताम ने बताया कि सुविधा के नाम पर विद्युत व्यवस्था दी गई है. गलियों में खंभें भी है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की वजह से स्ट्रीट लाइट नहीं है, जिससे गलियों में अंधेरा रहता है. बस्ती चारों तरफ से वनों से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से यहां जंगली-जानवरों के हमला करने का खतरा हमेशा बना रहता है. वन और नाला होने के कारण वन्य प्राणियों का चहल कदमी बनी रहती है. जंगली-जानवरों से बचने के लिए गलियों के विद्युत खंभों में स्ट्रीट लाइट लगाना अति आवश्यक है.

नाली निर्माण हुआ है पर पानी निकासी नहीं!

गांव के युवक तेजराम मंडावी ने बताया कि गांव के गलियों में गली कांक्रीटीकरण नहीं होने से बरसात के दिनों में कीचड़ और गर्मी के दिनों में धूलभरे आंधियों का सामना करना पड़ता है. गली कांक्रीटीकरण किए बिना मुख्य गली के किनारे 200 मीटर गुणवत्ता विहीन पक्की नाली का निर्माण किया गया है, लेकिन पानी निकासी योग्य नाली का निर्माण नहीं होने से बरसात के दिनों में नाली में कचरा और कीचड़ से जाम रहता है, जिसकी बदबू से सांस लेने में मुश्किल होती है. पक्की नाली में उचित पानी निकासी बनाने की आवश्यकता है.

पेड़ों को बचाना पहली प्रथामिकता

पल्टन सिंह नेताम ने बताया कि यहां के लोग प्रकृतिवादी हैं. घने जंगल और इमारती लकड़ी की प्रचुरता होने के बाद भी पर्यावरण को बचाए रखने के लिए बेशकीमती लकड़ियों का कटाई नहीं करते और पेड़ों का रक्षा करते हैं. मिट्टी का मकान बनाकर छत के लिए घास-फूस, झिल्ली, मूरूम और खपरैल का उपयोग करते हैं. अहाता निर्माण के लिए ईंट, छड़, सीमेंट के बजाय झाड़ी के शाखाओं का उपयोग करते हैं. घरों में पानी टपकने के बाद भी पेड़ों को बचाए रखना इन आदिवासियों की पहली प्राथमिकता होती है.

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लोक कलाकार की बस्ती किड़काड़ीटोला

ग्रामीण धनसाय ने बताया कि यह बस्ती लोक कलाकारों के नाम से क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है. पहले यहां के छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी बहुत प्रसिद्ध था. अभी भी यहां के लोक कलाकार बेदराम राम मंडावी और जेठूराम ओटी जोकर और हास्य कलाकार के रूप में प्रसिद्ध है. इसी तरह बैंजो मास्टर पल्टन सिंह नेताम और तबला मास्टर हेमलाल नेताम वाद्य कलाकार के रुप में जाने जाते हैं. आदिवासी इलाकों में समस्या की कमी से जूझ रहे ऐसे छोटे से बस्ती में सुप्रसिद्ध प्रतिभावान लोक कलाकारों का होना इस वनांचल के लिए गौरव की बात है. इन कलाकारों के प्रतिभाओं के निरंतर प्रस्तुति बनाए रखने के लिए भी गांव में समस्याओं का निराकरण करना आवश्यक है.

जल्द होगा समस्याओं का निराकरण

गांव की इन समस्याओं को लेकर जब ETV BHARATने विधायक छन्नी साहू से बात कि तो उन्होंने बताया कि मैंने ग्रामीणों से मुलाकात की है. उन्होंने बताया कि जिस वक्त मैं जिला पंचायत सदस्य थी, उस समय सबसे पहले मैं ही वहां पहुंची थी और लोक कलामंच बनवाया था. उन्होंने आगे कहा कि बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र बनाया जाएगा और उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा.

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