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पूर्व विधायक कोमल जंघेल ने PM को लिखा पत्र, किसानों के मामले में हस्तक्षेप की मांग

पूर्व विधायक कोमल जंघेल ने प्रदेश के किसानों के हालातों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे पत्र लिखा है. कोमल का कहना है कि किसान कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं. किसानों के रबी के फसल के प्रभावित होने के मामले में राज्य सरकार पर अब तक क्षतिपूर्ति नहीं देने के आरोप लगाए हैं. केंद्र से राज्य के किसानों के मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है.

Former MLA Komal Janghel written letter to PM Narendra Modi
पूर्व विधायक कोमल जंघेल ने PM को लिखा पत्र

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Published : Jun 7, 2020, 2:23 AM IST

राजनांदगांव: खैरागढ़ के पूर्व विधायक और भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कोमल जंघेल ने प्रदेश के किसानों के हालातों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे पत्र लिखा है. पत्र के जरिए केंद्र से राज्य के किसानों के मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है. उन्होंने पत्र में फसल क्षतिपूर्ति का मुद्दा उठाया है. किसानों को जल्द से जल्द क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की है. किसानों के रबी के फसल के प्रभावित होने के मामले में राज्य सरकार पर अब तक क्षतिपूर्ति नहीं देने के आरोप लगाए हैं.

पूर्व विधायक कोमल जंघेल ने राज्य सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. उन्होंने रबी फसल की नुकसान की भरपाई न होने का मामला उठाते हुए बिमा कंपनी और राज्य सरकार के कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं. कोमल ने पत्र में बताया है कि बारिश के बाद राजस्व अधिकारी, कृषि अधिकारी, पटवारी ने खेतों में जाकर सर्वे निरीक्षण करके पूरी रिपोर्ट तैयार कर छतीसगढ़ शासन और बीमा कंपनी को भेजा दिया है. इसके बाद भी किसानों को रबी फसल के नुकसान की क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिली है. कोमल का कहना है कि किसान कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं.

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केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग
कोमल जंघेल ने पत्र बताया है कि खैरागढ़ तहसील में 227 गांव के लगभग 40 हजार 464 किसानों ने 38 हजार 332.204 हेक्टेयर रकबा में रबी फसल ली थी. जबकि छुईखदान तहसील में 247 गांव के 37 हजार 685 किसानों ने 29 हजार 126 हेक्टेयर रकबा की रबी की फसल ली थी. जिसमें चना, मसूर, लाख, लाखड़ी के अलावा अन्य फसल शामिल थे. बारिश में सब तबाह हो गया किसानों को खेत तक जाना नहीं पड़ा. अब किसान सरकार से आश लगाए बैठे हैं लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है. ऐसें मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग है.

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