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हर साल सफाई पर खर्च होता है 20 लाख रुपये, फिर भी पहली बारिश में शहर का है ये हाल

राजनांदगांव में मानसून की पहली बारिश ने ही नगर निगम के तमाम दावों की पोल खोल दी है, एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ गंदे नाले का पानी लोगों के घरों में घुसने से शहर में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.

drain water enters the slum
नाले का पानी बस्ती में घुसा

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Published : Jun 13, 2020, 7:03 PM IST

राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ में मानसून ने दस्तक दे दी है. गुरुवार और शुक्रवार को हुई मानसून की पहली बारिश ने लोगों को जहां गर्मी से राहत दिलाई है तो वहीं इसका दूसरा नजारा भी देखने को मिला है.

पहली बारिश में शहर का है ये हाल

राजनांदगांव में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है, जिससे नगर निगम के दावों की पोल खुल गई है. लगातार दो दिन हुई बारिश ने शहर की निचली बस्तियों का हाल-बेहाल कर दिया है. बारिश के बाद शहर के बड़े नालों में पानी भरने से निचली बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में पानी घुस गया, जिससे चारों ओर गंदगी का अंबार लग गया है.

बड़े नालों की नहीं हुई सफाई

मानसून से पहले निगम ने बड़े नालों की सफाई नहीं की, जिसके चलते नालों में गंदगी जमा होती रही, जैसे ही मानसून की पहली बारिश हुई, शहर में 6 बड़े नालों में पानी भर गया और नालों के आस-पास और निचली बस्तियों में रहने वाली करीब 40 हजार लोगों की आबादी इसकी चपेट में आ गई. बारिश के बाद इन नालों का पानी लोगों के घरों में घुटनों तक भर गया. शुक्रवार को बारिश के बाद व्यवस्था इतनी खराब रही कि लोग देर रात तक सिर्फ अपने घरों से गंदा पानी निकालते रहे.

वर्षों पहले हुआ है निर्माण
शहर के वार्ड क्रमांक 42, 43, 44, 45 और डबरी पारा सहित ननदाई इलाके में वर्षों पहले नालों का निर्माण कराया गया है, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते आज तक यह नाले लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. वहीं नगर निगम इन नालों की सफाई भी बारिश के पहले नहीं करा पाया. यहीं कारण है कि पूरे शहर की गंदगी इन नालों में जाम हो गई और बारिश आते ही नाले की पूरी गंदगी लोगों के घरों तक पहुंच गई.

कोरोना के साथ संक्रामक रोगों का खतरा

एक तरफ कोरोना महामारी तो वहीं दूसरी तरफ मानसून आ जाने से दूसरी मौसमी बीमारियां शुरू होने का भी खतरा मंडराने लगा है. नालों की सफाई नहीं होने के कारण जाम होने से गंदा पानी लोगों के घरों में पहुंच रहा है. जिससे चारों ओर गंदगी फैलने से संक्रामक रोग बढ़ने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. निचली बस्तियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि ये व्यवस्था सालों से ऐसी ही चली आ रही है, नगर निगम से कई बार मामले की शिकायत भी की गई, लेकिन इसका कोई हल अब तक नहीं निकल पाया है. लोगों का कहना है कि यहां रहने वाले लोग अक्सर बारिश के दौरान डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और वायरल बीमारियों के शिकार होते रहते हैं.

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नगर निगम का रटा रटाया दावा

नगर निगम के जिम्मेदार आज भी व्यवस्था संभालने की बात कह रहे हैं, जबकि निचली बस्तियों में रहने वाली तकरीबन 40,000 की आबादी पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. इस मामले में वार्ड 42 के पार्षद ऋषि शास्त्री का कहना है कि नालों का गंदा पानी घरों में घुसने के कारण लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा है, इसकी पूरी जानकारी नगर निगम कमिश्नर को दी गई है, इसके बाद JCB से काम शुरू कराया गया है. पार्षद ने जल्द ही निचले इलाकों को पूरी तरह साफ कराने का दावा किया है.

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मामले में नगर निगम कमिश्नर चंद्रकांत कौशिक का कहना है कि शहर में बारिश के कारण कई इलाकों में पानी का जमाव हुआ है. जिसे टीम लगाकर सफाई कराई जा रही है. बारिश के दौरान इस तरीके की शिकायत न हो इसके लिए टीम लगाकर काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मानसून में शहर के लोगों को तकलीफ नहीं होगी इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा.
ऐसी है शहर की व्यवस्था

  • 6 बड़े नाले, जहां से शहर का सीवरेज बाहर की ओर निकाला जाता है
  • 6 बड़े नालों से प्रभावित हो रही है 40000 की आबादी
  • आधा दर्जन वार्ड में गंदा पानी घुसने की शिकायत
  • नगर निगम में तकरीबन 70 लोग दर्ज करा चुके हैं शिकायत
  • 20 साल में निगम नहीं बना पाया कोई ठोस प्लान
  • हर साल बड़े नालों की सफाई पर तकरीबन 20 लाख रुपये होता है खर्च

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