राजनांदगांव: नगरीय निकाय चुनाव में इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनने की व्यवस्था ने भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लोगों को टेंशन में डाल दिया है. राजनांदगांव नगर निगम की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव है, तो वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लेकर आई कांग्रेस ने इस बार नगरीय निकाय की सत्ता हथियाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रखी है. इतना ही नहीं निर्दलियों ने भी अपने मजबूत कदम वार्डों में जमा रखे हैं.
राजनांदगांव नगर निगम चुनाव को अगर राजनीतिक रूप से देखें, तो नगर निगम की सत्ता पर पांच बार भाजपा ने कब्जा जमाया है. वहीं एक बार निर्दलीय तो दो बार कांग्रेस ने अपना महापौर बनाया है. बता दें कि यह पहली बार ही नहीं है जब राजनांदगांव नगर निगम का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है. इसके पहले भी दो बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव हुए हैं. दोनों ही चुनाव में भाजपा ने अपना महापौर बनाया है.
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ओबीसी और जनरल का है ज्यादा वोट
नगर निगम राजनांदगांव में 51वार्ड आते हैं. इन वार्डों में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जनसंख्या है और इसके बाद जनरल कैटेगरी के मतदाताओं की संख्या है. वर्तमान में 124601 मतदाता हैं, जिनमें महिला वोटर की संख्या 63860 है. वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 60739 है. आरक्षण के बाद 18 वार्डों में परसीमन का कोई असर नहीं पड़ा है. इन वार्डों में जनसंख्या को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं. वहीं शहर में दो नए वार्ड अस्तित्व में आए हैं. इसके अलावा 21 वार्डों की सीमाओं और जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है. इसके चलते राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं.
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दो बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय का रहा कब्जा
- नगर निगम की सत्ता में 5 बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब्जा रहा है. वहीं दो बार कांग्रेस प्रत्याशी महापौर चुने गए. एक बार विजय पांडेय के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी ने प्रत्यक्ष चुनाव से जीत दर्ज कर महापौर की सत्ता हथियाई थी.
- सन 1994 में शरद वर्मा महापौर बने. इसके बाद राजनीतिक उठापटक के चलते साल 1996 में अजीत जैन महापौर बने.
- 1999 में हुए चुनाव में विजय पांडेय को प्रत्यक्ष प्रणाली से जीत हासिल हुई और वे महापौर बने.
- इसके बाद राज्य शासन से उन्हें हटाकर कार्यवाहक महापौर के रूप में सुदेश देशमुख को कमान सौंपी. सन 2004 में भाजपा की सत्ता आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम में मधुसूदन यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया.
- साल 2005 में शोभा सोनी महापौर बनी जो कि भाजपा से चुनकर आई थी. फिर इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेश डाकलिया महापौर बने. इसके बाद सन 2015 में महापौर की कमान वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव के हाथों में जनता ने सौंपी.
ओबीसी महिला के खाते में आई महापौर की सीट
- राजनांदगांव नगर निगम में आरक्षण होने के बाद ओबीसी महिला के खाते में राजनांदगांव महापौर की सीट आई है.
- 10 साल बाद महिला महापौर नगर निगम को मिलेगा. राजनांदगांव नगर निगम में कुल 51 वार्ड आते हैं.
- इनमें 17 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है. वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए 3 अनुसूचित जाति के लिए 6 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 13 वार्डों का आरक्षण किया गया है. 29 वार्ड अनारक्षित है.