सिंगारपुर में विराजमान हैं दक्षिणमुखी हनुमान, खैरागढ़ रियासत से जुड़ी है कहानी
नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के सिंगारपुर में दक्षिणमुखी हनुमान हैं. यहां स्थापित मूर्ति की कहानी खैरागढ़ रियासत से जुड़ी हुई है. कहते हैं कि यहां आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है. यही कारण है कि दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और मन्नतें पाकर जाते हैं.
दक्षिणमुखी हनुमान
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Published : May 28, 2023, 10:23 PM IST
खैरागढ़ रियासत से जुड़ी मूर्ति की कहानी
केसीजी:यूं तो देश में कई ऐसे हनुमान मंदिर हैं, जहां का चमत्कार भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. हर मंदिर की अलग मान्यता है. ऐसा ही एक मंदिर राजनांदगांव के खैरागढ़ में है. नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई से लगभग 18 किलोमीटर दूर सिंगारपुर में दक्षिणमुखी हनुमान विराजमान हैं. ये मंदिर तकरीबन 500 साल पुराना है. यहां आने वाले की हर मुराद पूरी होती है.
खैरागढ़ रियासत से जुड़ी मूर्ति की कहानी:मान्यता के मुताबिक इस मंदिर के मूर्ति की कहानी खैरागढ़ रियासत से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि 500 साल पहले खैरागढ़ रियासत के तत्कालीन राजा कहीं से यह मूर्ति खैरागढ़ ले जा रहे थे. रास्ते में वो थक कर सिंगारपुर में आराम करने लगे. जब वो उठे तो मूर्ति लेकर जाने की तैयारी करने लगे. हालांकि राजा मूर्ति को उठा नहीं पाए. काफी प्रयास के बाद आखिरकार उन्होंने मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर दिया. तब से ये मूर्ति यहीं विराजमान है.
दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु:हर मंगलवार और शनिवार को दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कहते हैं कि यहां आने वाले की हर मुराद पूरी होती है. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में लाल कपड़े में नारियल बांध देते हैं. मन्नत पूरी हो जाने पर नारियल को लाल कपड़े से खोल देते हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो बजरंगबली का चमत्कार देखकर लोग मन्नतें पूरी करने यहां आते हैं. हर शनिवार और मंगलवार को यहां भारी भीड़ रहती है.
जिले में हनुमानजी तीन अवस्था में मौजूद:कहा जाता है कि राजनांदगांव जिले में हनुमानजी तीन अवस्था में मौजूद हैं. राजनांदगांव-महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित विचारपुर में बाल अवस्था में विराजमान हैं. धर्मनगरी डोंगरगढ़ में युवावस्था की मूर्ति स्थापित है. सिंगारपुर में वृद्धावस्था में विराजमान हैं. सिंगारपुर के इस हनुमान मंदिर में फिलहाल पंडित सुरेश कुमार शर्मा पूजा करते हैं. इससे पहले इनके पूर्वज हनुमानजी की सेवा करते थे.