रायपुर: विनायक चतुर्थी संत चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का पावन पर्व रविवार 6 मार्च को मनाया जाएगा. अश्वनी नक्षत्र ब्रह्म योग और विशकुंभ करण के प्रभाव में मेष राशि के चंद्रमा में पड़ रहा है. मेष राशि के स्वामी मंगल माने गए हैं. मेष राशि एक अग्नि प्रधान राशि हैं. विनायक चतुर्थी गणेश की साधना उपासना का महत्वपूर्ण पर्व है. गणेश भगवान प्रथम पूज्य माने गए हैं. गणेश जी बुद्धि सुमति ज्ञान और वाणी के देवता माने गए हैं. गणेश भक्तों को सद्बुद्धि चेतना मेधावान बनाते हैं.
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आज के दिन पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विशेष रूप से गणेश जी की पूजा अर्चना और आरती करनी चाहिए. सामान्य जन फलाहार एकासना के साथ उपवास करें. प्रातकाल बेला में स्नान आदि से निवृत होकर लाल कपड़े में गणेश जी को सम्मान पूर्वक आसन में बैठाकर आचमन कर शुद्ध जल से स्नान कराना चाहिए. अष्ट चंदन, रक्त चंदन, गोपी चंदन, मलयाचल चंदन और अबीर गुलाल सिंदूर बंधन से गणेश का अभिषेक करना चाहिए. गणेश को दूर्वा की माला बहुत प्रिय है. दुर्वा से गणेश जी का अभिषेक करना चाहिए.
विभिन्न ऋतु फल मोदक के लड्डू, मगज का लड्डू, बेसन के लड्डू आदि का भोग भगवान गणेश को लगाया जाता है. आज के शुभ दिन गणेश का श्रृंगार करते समय केले के पत्ते से लंबोदर महाराज को सजाना चाहिए. लंबोदर महाराज को केले के पत्ते में ही आसन देने का विधान है. इसके अतिरिक्त जनेऊ, पुष्पों की माला, घास की माला, चंदन की माला, भगवान विघ्नहर्ता को चढ़ाए जाते हैं. यह व्रत करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं. इस व्रत का पालन करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं. बुद्धि चेतना का विकास होता है. व्यक्ति मेधावी बनता है और पुरुषार्थ की ओर प्रेरित होता है.