छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

इस साल अपने देवता के लिए जंगल से निकलकर सड़क पर उतर आए थे आदिवासी

इस साल आदिवासियों ने अपने देवता के लिए आंदोलन किया और इस आंदोलन ने साबित किया कि ये आदिवासी अपने देवता के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

By

Published : Aug 9, 2019, 10:40 AM IST

विश्व आदिवासी दिवस

रायपुर : छत्तीसगढ़ के आदिवासी आमतौर पर शांत रहते हैं और कम संसाधन होने के बावजूद खुशी-खुशी जीवन बसर करते हैं, लेकिन जब बात अपने भगवान पर आ जाए तो यही आदिवासी किसी भी हद तक जाने से पीछे नहीं हटते. ऐसा ही कुछ इस साल भी हुआ जब दंतेवाड़ा की बैलाडीला पहाड़ी पर स्थित डिपॉजिट नंबर 13 को अडानी को दिया गया.

अपने देवता को बचाने के लिए प्रकृति पूजने वाले ये आदिवासी 7 जून को किरंदुल पहुंचे. खाने-पीने का सामान और हाथों में तीर-कमान लिए ये आदिवासी पूरी तैयारी के साथ आंदोलन करने पहुंचे थे.

कई तरह की परेशानियां झेलीं
हजारों की संख्या में पहुंचे ये आदिवासी 7 दिन और 6 रातों तक किरंदुल और बचेली खदान के सामने डटे रहे और उत्पादन ठप कर दिया. भारी बरसात के बीच कई आदिवासी बीमार भी हुए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा, लेकिन आदिवासियों का हौसला कम नहीं हुआ.

आवंटन रद्द करने की थी मांग
आदिवासियों की मांग सिर्फ ये थी कि बैलाडीला की डिपॉजिट नंबर 13 की खदान में उनके देवता हैं, नंदराज पर्वत उनकी आस्था का केंद्र है लिहाजा यहां खनन न हो और ठेका निरस्त किया जाए.

7 दिनों तक चला आंदोलन
7 दिनों तक चले इस आंदोलन के दौरान आदिवासियों को कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और जोगी कांग्रेस का भी समर्थन मिला. साथ ही नक्सलियों ने भी पर्चे फेंककर आंदोलन को समर्थन दिया. 7वें दिन आखिरकार प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर अडानी ग्रुप को खदान दिए जाने के संबंध में सहमति देने वाली ग्राम सभा की जांच और खदान पर काम बंद करवाने का लिखित में आश्वसान दिया, जिसके बाद आदिवासियों के ये आंदोलन खत्म हुआ.

ABOUT THE AUTHOR

...view details