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छत्तीसगढ़ में नौकरी गुल, राजनीति फुल : आखिर बेरोजगारी के लिए कौन है जिम्मेदार ?

छत्तीसगढ़ में बढ़ती बेरोजगारी (Unemployment in Chhattisgarh) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी है. कांग्रेस ने बेरोजगारी दिवस (Unemployment Day) मनाया था. इसके साथ ही कांग्रेस ने बेरोजगारी को लेकर पकोड़े तलकर अपना विरोध दर्ज कराया था. आइए समझते हैं कि किस तरह प्रदेश में नौकरी गुल है और बेरोजगारी के मुद्दे पर राजनीति फुल है.

Who is ultimately responsible for increasing unemployment
बेरोजगारी के लिए आखिर जिम्मेदार कौन?

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Published : Sep 20, 2021, 11:00 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी (Unemployment in Chhattisgarh) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी है. वहीं केंद्र के आंकड़े भी समय-समय पर जारी किए जाते रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच यह बात सामने आती है कि छत्तीसगढ़ में बढ़ रही बेरोजगारी (Rising Unemployment in Chhattisgarh) के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है. राज्य सरकार या केंद्र सरकार या फिर कोई और कारण है जिस वजह से प्रदेश में बेरोजगारी (Unemployment ) बढ़ रही है.

बेरोजगारी के लिए आखिर जिम्मेदार कौन?

बेरोजगारी के लिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ओर से पिछले दिनों बेरोजगारी दिवस मनाया गया था. वहीं बीजेपी की बात की जाए तो बीजेपी ने भी प्रदेश में इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया था. इन सबके बीच केंद्र सरकार के आंकड़े और चौंकाने वाले देखे जा रहे हैं. केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी (Unemployment in Chhattisgarh) की दर बढ़ी है.

बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर से है आधी

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआई) (Center for Monitoring Indian Economy) की ओर से 16 सितंबर 2021 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 3.8% है. जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर 7.6% है. छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति देश के कई बड़े और विकसित राज्यों से बेहतर है.

छत्तीसगढ़ में है 19 लाख बेरोजगार

छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी के डरावने आंकड़े हैं. प्रदेश में 19 लाख के करीब बेरोजगार हैं. यह आंकड़े छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा विधानसभा में मार्च 2021 में दिया गया था. विधानसभा में रेणु जोगी (Renu Jogi) ने बेरोजगारी को लेकर सवाल पूछा था. जिसके जवाब में मंत्री उमेश पटेल ने प्रदेश के जिलेवार बेरोजगारी के आंकड़े प्रस्तुत किये थे.

बालोद में सबसे ज्यादा और गौरेला पेंड्रा मरवाही में है सबसे कम बेरोजगार

राज्य सरकार ने बेरोजगारी के जिलेवार दर्ज आंकड़ों में बताया था कि छत्तीसगढ़ में अभी 18 लाख 90 हजार 620 बेरोजगार हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बेरोजगार बालोद जिले में है. जबकि सबसे कम गौरेला पेंड्रा मरवाही (Gourela Pendra Marwahi) में है. बालोद जिले में 1 लाख 58 हजार 551 लोग बेरोजगार हैं. वहीं दूसरे नंबर पर दुर्ग है, जहां 1 लाख 41 हजार 604, रायगढ़ में 1 लाख 17 हजार 128 बिलासपुर में 1 लाख 16 हजार 420, राजनंदगांव में 1 लाख 14 हजार 46 जांजगीर में 1 लाख 8 हजार 483 बेरोजगारों के दर्ज आंकड़े हैं.

जिलेवार बेरोजगारों के आंकड़े

रायपुर 81,936
बालोद 1,58,551
दुर्ग 1,41,604
रायगढ़ 1,17,128
बिलासपुर 1,16,420
राजनंदगांव 1,14,046
जांजगीर 1,08,483
बेमेतरा 81,589
मुंगेली 81,189
अंबिकापुर 84,535
धमतरी 71,739
जगदलपुर 67,223
कांकेर 78,625
कोरबा 73,207
सूरजपुर 73,146
जशपुर 66,863
कोंडागांव 63,645
बलौदा बाजार 62,671
बलरामपुर 47,071
महासमुंद 37,334
मनेंद्रगढ़ 31,278
कबीरधाम 29,748
गौरेला पेंड्रा मरवाही 1,503

छत्तीसगढ़ के 50 लाख लोग हैं बेरोजगार: बीजेपी

बीजेपी का आरोप है कि राज्य सरकार की गलत नीतियों (wrong policies of state government) के कारण छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी बढ़ी है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास (Country Spokesperson Gaurishankar Srivas) का कहना है कि आज प्रदेश में लगभग 25 लाख पंजीकृत और 25 लाख अपंजीकृत बेरोजगार मौजूद हैं. इस तरह कुल 50 लाख लोग आज बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके लिए सीधे तौर पर राज्य की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है.

बाहरी लोगों को दी जा रही नौकरी: भाजपा

गौरी शंकर श्रीवास (Gaurishankar Srivas) का आरोप है कि आज बाहर के लोगों को यहां नौकरी दी जा रही है. प्राइवेट सेक्टर में भी काफी संख्या में बाहरी लोगों को रखा गया है. इस वजह से स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. बीजेपी नेता गौरीशंकर (Country Spokesperson Gaurishankar Srivas) ने कहा कि आज युवा नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है. युवाओं की तरफ से आत्महत्या के प्रयास हो रहे हैं. क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है. छत्तीसगढ़ के युवाओं को नियमितीकरण की बात चुनाव के पहले कांग्रेस ने की थी लेकिन अब उन्हें नियमित नहीं किया गया है.

रमन शासन काल में 22% थी बेरोजगारी दर-कांग्रेस

वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह (State spokesperson Dhananjay Singh) ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में आज भूपेश सरकार के द्वारा रोजगार के कई साधन मुहैया कराए जा रहे हैं. युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. सरकारी नौकरी में भर्ती की जा रही है. यही कारण है कि पूर्व में रमन सरकार के दौरान बेरोजगारी दर 22% थी जो घटकर भूपेश सरकार के कार्यकाल में 3% हो गई है. यह राष्ट्रीय स्तर की बेरोजगारी दर से आधी है.

23 करोड़ हो गए बेरोजगार: कांग्रेस

धनंजय सिंह ठाकुर (State spokesperson Dhananjay Singh) का कहना है कि बेरोजगारी के लिए भाजपा सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है. क्योंकि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि वह हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देगी. इस तरह अब तक 14 करोड़ लोगों को रोजगार मिलना था. लेकिन हुआ इसके विपरीत, रोजगार मिलना तो दूर आज देश में लगभग 23 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए. इसके लिए सीधे तौर पर केंद्र की भाजपा सरकार जिम्मेदार हैं.

बेरोजगारी के लिए एक सरकार या एक दल नहीं है जिम्मेदार: जानकार

वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी (Senior Journalist Ramavatar Tiwari) का कहना है कि बेरोजगारी की समस्या के लिए कोई एक दल लिया एक सरकार जिम्मेदार नहीं है. बल्कि बेरोजगारी के कई कारण हैं. वर्तमान की बात की जाए तो कोरोना काल की वजह से बहुत से लोगों का रोजगार छिन गया है. कई लोगों के सामने जीवन यापन की समस्या उत्पन्न हो गई है, हालत काफी बिगड़ चुके हैं.

बेरोजगारी के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है छत्तीसगढ़

जानकारों का मानना है कि हालांकि इस बीच छत्तीसगढ़ में इतना ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. जितना अन्य प्रदेशों में देखने को मिला. यहां पर इस कोरोना काल के बीच भी राज्य सरकार की ओर से सरकारी नौकरियां निकाली गई. जिससे बेरोजगार युवाओं को ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ी राहत जरूर मिली है.

'सभी दलों को बेरोजगारी पर सोचना होगा'

पत्रकार रामअवतार तिवारी (Senior Journalist Ramavatar Tiwari) ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर आकर बेरोजगारी की समस्या से निजात पाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. नहीं तो युवाओं का राजनीतिक दलों पर से भरोसा उठ जाएगा.

बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन यह जरूर है कि हर साल छत्तीसगढ़ में हजारों की संख्या में युवा स्कूल और कॉलेजों से पढ़ लिखकर निकल रहे हैं लेकिन पढ़ाई समाप्त करने के बाद उनके पास रोजगार के साधन नहीं है. ना तो उन्हें सरकारी और निजी नौकरी मिल रही है ना वह स्वरोजगार कर पा रहे हैं.

रोजगार के अभाव में इन युवाओं के द्वारा कई बार गलत तरीके से पैसे कमाने या फिर आपराधिक प्रक्रिया भी अपनाई जाती हैं. यहां तक की कई बार रोजगार के अभाव में युवा आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने राजनीतिक दलों को एक मंच पर आकर काम होगा.

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