छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

इस विजयादशमी पर जानिये देश के अलग-अलग राम मंदिरों के बारे में क्या हैं मान्यताएं

पूरा देश राम को अपना आराध्य देव मानता है, उनकी भगवान के रूप में पूजा करता है. राजा दशरथ भले जीते जी अपने बेटे राम को राजा बनते नहीं देख पाए, लेकिन मध्य प्रदेश के ओरछा में राम को आज भी राजा के रूप में पूजा जाता है. राम की पूजा अलग-अलग राज्यों में अनूठी तरह से मनाते है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

By

Published : Oct 14, 2021, 10:45 PM IST

भगवान श्रीराम
भगवान श्रीराम

रायपुर: विजयादशमी का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसको लेकर देश के प्रमुख मंदिरों में उत्सव सा माहौल दिख रहा है. विजयादशमी के इस मौके पर जानिये देश के कुछ प्रमुख राम मंदिरों की रोचक बातें.

मध्य प्रदेश के ओरछा में भगवान के रूप में नहीं, यहां राजा मानकर पूजे जाते हैं राम

पूरा देश राम को अपना आराध्य देव मानता है, उनकी भगवान के रूप में पूजा करता है. राजा दशरथ भले जीते जी अपने बेटे राम को राजा बनते नहीं देख पाए, लेकिन मध्य प्रदेश के ओरछा में राम को आज भी राजा के रूप में पूजा जाता है. मध्य प्रदेश के ओरछा में राम की पूजा 'राजा' के रूप में की जाती है. यहां भगवान राम का जो मंदिर बना है वह 'रामराजा मंदिर' के नाम से जाना जाता है. मध्य प्रदेश सरकार के जवानों की एक टुकड़ी प्रतिदिन पांचों पहर 'रामराजा' को गार्ड ऑफ ऑनर देती हैं. ओरछा ओरछा को राजा राम की नगरी के रूप में जाना जाता है.

लाहौर तक फैली थी जम्मू के ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर की ख्याति

यूं तो जम्मू के ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर को देश भर के लोग जानते हैं. लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि जिस समय महाराजा गुलाब सिंह ने रघुनाथ मंदिर की नींव रखी थी, ठीक उसी समय उन्होंने जम्मू शहर से 37 किलोमीटर दूर बसे रामगढ़ इलाके में एक राधा-कृष्ण के मंदिर का निर्माण भी करवाया था. जिसे भांमूचक्क मंदिर के नाम से जाना जाता था. रघुनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाए गए इस मंदिर का कुछ-कुछ रूप रघुनाथ मंदिर जैसा ही था. इस मंदिर में रोजाना मेला लगता था और यहां दूर-दूर से लोग आते थे. करीब एक एकड़ भूमि पर किला रूपी मंदिर बना. यह मंदिर इतना आकर्षक बना कि लोग दूर-दूर से यहां आने लगे और देखते ही देखते मंदिर मौजूदा समय के पाकिस्तान स्थित लाहौर तक आकर्षक का केंद्र बन गया था.

समुद्र तट पर मिली मूर्तियों को स्थापित कर बनाया मंदिर

दक्षिण स्थित केरल के त्रिप्रायर नदी के किनारे दक्षिण पश्चिमी शहर त्रिप्रायर में श्री राम का ये भव्य मंदिर निर्मित है. इस मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां स्थापित मूर्ति इस स्थान के मुखिया को समुद्र तट पर मिली थी. पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के सांतवें अवतार श्रीराम की ये मूर्ति लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियों के साथ त्रिपायर के समुद्र के किनारे अपने आप आ पहुंची थीं. जहां से वक्केल कोविलाकम नाम का उस स्थान का प्रमुख उन्हें ले आया और उनको त्रिप्रायर, तिरुमूजिक्कलम, कूडलमाणिक्कम और पैम्मेल नाम के स्थानों पर विधि-विधान से प्रतिष्ठित कर दिया गया. कालांतर में वक्केल के वंशज दक्षिण में और आगे की ओर चले गए और त्रिकपालेश्वर के भक्त बन गये.

'दक्षिण की अयोध्या' के नाम से प्रसिद्ध है तेलंगाना का भद्राचलम

गोदावरी नदी के किनारे बसा तेलंगाना का भद्राचलम शहर मंदिरों के शहर के नाम से मशहूर है. लेकिन यहां का सीता-राम मंदिर सबसे ज्यादा फेमस है. जहां राम नवमी और कई दूसरे मौकों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. तेलंगाना के खम्मम जिले में स्थित भद्राचलम को मंदिरों की नगरी कहा जाता है. भद्राचलन में वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन यहां का श्रीसीता-रामचंद्र स्वामी मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. जिसकी वजह से इस शहर को दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर पर्णशाला नाम की जगह है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास का एक हिस्सा यहीं बिताया था. रावण ने इसी जगह से माता सीता का अपहरण किया था.

कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है अयोध्या का कनक भवन मंदिर

अयोध्या का कनक भवन मंदिर राम जन्म भूमि के उत्तर पूर्व में स्थित है. यह मंदिर अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है. ऐसी मान्यता है कि माता कैकेयी ने प्रभु श्रीराम और देवी सीता को यह भवन उपहार स्वरूप दिया था. साथ ही यह उनका व्यक्तिगत महल भी था. पहले राजा विक्रमादित्य एवं बाद में भानु कुंवारी ने इसका जीर्णोद्धार कराया था. मुख्य गर्भगृह में श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details