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भारत में दूध क्रांति लाने वाले नायक वर्गीज कुरियन

भारत में दुग्ध क्रांति लाने के लिए वर्गीज कुरियन को हमेशा याद किया जाएगा. आज हम उनसे जुड़ी कुछ उपलब्धियों के बारें में जानेंगे .

Verghese Kurien the hero who brought milk revolution in India
भारत में दूग्ध क्रांति लाने वाले नायक वर्गीज कुरियन

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Published : Aug 13, 2022, 2:34 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 3:06 PM IST

रायपुर : वर्गीज कुरियन भारत में ‘श्वेत क्रांति’ के जनक थे. उन्हें ‘फादर ऑफ़ वाइट रेवोलुशन’ भी कहा जाता (Varghese Kurian Father of the White Revolution) है. उन्होंने भारत को दूध की कमी से जूझने वाले देश से दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने वाले सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखी थी. उनके ‘ऑपरेशन फ्लड’ ने भारत को दुग्ध उत्पादकों के सूचि में सबसे आगे खड़ा कर (Operation Flood success in India) दिया. अपने जीवनकाल में 30 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों के स्थापना करने वाले डॉ कुरियन को रेमन मैगसेसे, पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया ( Verghese Kurien the hero who brought milk revolution in India) गया.

वर्गीज कुरियन का सफर :केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर, 1921 को जन्मे वर्गीज कुरियन ने 1940 में लोयला कॉलेज, मद्रास से भौतिकी में स्नातक किया और मद्रास विश्वविद्यालय से बी.ई. (मैकेनिकल) कोर्स किया. इसके बाद, वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में परास्नातक (मास्टर डिग्री) हासिल करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. उन्होंने जमशेदपुर में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी संस्थान और बैंगलोर में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त किया.

भारत के डेयरी को दी नई दिशा :डॉ Verghese Kurien वर्ष 1948 में अमेरिका से वापस भारत आकर सरकार के डेयरी विभाग में शामिल हो गए. मई 1949 में उन्हें गुजरात के आनंद में सरकारी अनुसंधान क्रीमरी में डेयरी इंजीनियर के रूप में तैनात किया गया. इसी दौरान कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KDCMPUL), निजी स्वामित्व वाले पॉलसन डेयरी से मुकाबला करने के लिए संघर्षरत था. इस चुनौती से प्रेरित होकर Verghese Kurien ने अपनी नौकरी छोड़ दी और दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने में KDCMPUL के अध्यक्ष त्रिभुवनदास पटेल की सहायता के लिए आगे आये. इस तरह अमूल का जन्म हुआ. कुरियन का सपना देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ– साथ किसानों की दशा भी सुधारना (White Revolution biggest rural development programs ) था.

ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत :डॉ. कुरियन ने भारत में श्वेत क्रांति लाने के साथ ही 'ऑपरेशन फ्लड' (Operation flood )कार्यक्रम की भी शुरुआत की. उनके नेतृत्व में, कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की गई, जिसमें GCMMF (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) और NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) शामिल है. इन संस्थानों ने देशभर में डेयरी कोऑपरेटिव मूवमेंट को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरे देश में आनंद मॉडल की कोऑपरेटिव डेयरी का प्रचार (Phases of Operation flood )किया.डॉ. कुरियन हमेशा खुद को किसानों के लिए काम करने वाला एक कर्मचारी मानते थे. पचास से अधिक वर्षों की अपनी सेवा में उन्होंने दुनिया के विभिन्न संस्थानों से 15 उपाधियां प्राप्त कीं.डॉ. कुरियन का मानना था कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए. डॉ. कुरियन को उनके महान कार्यो के लिए कई पुरस्कार मिले.

भैंस के दूध से पाउडर बनाने का दिया आइडिया :डॉ. वर्गीज कुरियन पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भैंस के दूध से दूध पाउडर बनाने का विचार पेश किया.डॉ. कुरियन ने 'आई टू हैड ए ड्रीम' नामक एक पुस्तक लिखी, जो किसानों के सशक्तिकरण और भारत में दुग्ध सहकारी समितियों के विकास के बारे में एक प्रेरणादायक कहानी बयान करती है. अतुल भिडे ने इस पुस्तक का ऑडियो वर्जन भी बनाया (White Revolution in India ) है.श्याम बेनेगल ने भारत में दुग्ध आंदोलन और इसपर काम करने वाले व्यक्ति, डॉ. वर्गीज कुरियन पर आधारित, मंथन नामक एक फिल्म बनाई (National Milk Day) है. इस फिल्म को 500,000 किसानों द्वारा वित्तपोषित किया गया था, जिसमें से हर एक किसान ने 2 रुपये दिए थे.कुरियन के नेतृत्व में कई कंपनियों को लॉन्च किया गया था.

पूर्व प्रधानमंत्री ने भी सराहा काम : पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल के वर्क मॉडल और पैटर्न के आधार पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) बनाया.वर्ष 2013 में, अमर चित्र कथा ने एक कॉमिक बुक प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक, 'वर्गीस कुरियन : द मैन विथ द बिलियन लिटर आइडिया' था. इस पुस्तक का सारांश यह है कि डॉ. कुरियन की कहानी ही अमूल की कहानी है.डॉ. वर्गीज कुरियन की 9 सितंबर 2012 को आनंद में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया.डॉ. वर्गीज कुरियन को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में दूध के अर्थ को फिर से परिभाषित किया.

Last Updated : Aug 13, 2022, 3:06 PM IST

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